मनुष्य के आपसी प्रेम में शांति, सुख और समाधान है  - श्री माताजी

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आज संपूर्ण संसार युद्ध के मुहाने पर खड़ा प्रतीत होता है कारण मात्र आपसी प्रेम का अभाव, दूसरों से स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने का अहंकार है। यह अहंकार व्यक्तिगत, सामाजिक, देशीय अथवा वैश्विक प्रत्येक स्तर पर देखा जा सकता है। शांति को प्राप्त करने का एकमात्र समाधान है निश्छल प्रेम।
इस संदर्भ में सहज योग की संस्थापिका " परम पूज्य श्री निर्मला माता जी" की अमृतवाणी में वर्णित है, कि संसार में जब आप आप किसी से प्यार करते हैं और वह भी आपसे प्यार करता है तो जो दोनों में प्रेम का आदान-प्रदान होता है उसमें एक सूक्ष्म सी संवेदना होती है जो अत्यंत शांति -मय और सुखमय होती है जिसकी व्याख्या नहीं की जा सकती लेकिन आजकल तो प्यार मिलता ही कहां है सब एक दूसरे को गिराने में लगे हुए हैं यहां तक की भक्ति मय कथा सुना कर लोग पैसे ऐंठ रहे हैं यह नहीं समझते कि पृथ्वी माता इतने सुंदर फल दे रही हैं ,फूल दे रही हैं, अन्न दे रही हैं हम उन्हें कितना पैसा देते हैं? प्यार को हम खरीद नहीं सकते प्यार की महिमा को तब तक हम नहीं समझ सकते जब तक हम प्यार के चैतन्य में ना डूब जाए यह प्रेम रूपी चैतन्य  सभी बारीक चीज देखता है और समाधान निकलता है और यह केवल सहज योग में ही संभव है।
आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने के बाद कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है मनुष्य में प्रेम और क्षमा की शक्ति बढ़ जाती है तब वह परमात्मा की बनाई सृष्टि प्रकृति और मनुष्य दोनों से प्रेम करने लगता है तत्पश्चात उसे परमात्मा का प्रेम, शांति, समाधान सब कुछ मिलने लगता है।
यह प्रेम सहज योग में ध्यान धारणा के माध्यम से सरलता से प्राप्त किया जा सकता है इसलिए सहज योग का अनुभव प्राप्त करने के लिए स्वयं को महामानव बनाने एवं स्व कल्याण हेतु सहज योग से आत्म दर्शन की यात्रा आरंभ करें।
नजदीकी सहज योग ध्यान केंद्र मे 1800 2700 800 टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। सहज योग पूर्णत:नि:शुल्क है।

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