दहेज प्रताड़ना मामलों में दो माह तक नहीं होगी गिरफ्तारी : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक क्रूरता और दहेज प्रताड़ना जैसे मामलों (IPC की धारा 498A) में दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी और कार्रवाई पर रोक लगाने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2022 के दिशा-निर्देशों को पूरे देश में लागू करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि अब ऐसे मामलों में पुलिस दो महीने तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी। इस 'कूलिंग पीरियड' के दौरान मामला जिले की परिवार कल्याण समिति (Family Welfare Committee - FWC) को भेजा जाएगा, जो मामले की जांच कर रिपोर्ट देगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 जून 2022 को IPC 498A के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह व्यवस्था दी थी, जो अब पूरे देश में लागू होगी। यह व्यवस्था 2017 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर आधारित थी, जिसे 2018 में वापस ले लिया गया था। अब एक बार फिर से इस फैसले के जरिए FWC को पुनः सक्रिय किया गया है, और इसे उपयुक्त प्राधिकारियों द्वारा लागू किया जाएगा। इस फैसले से झूठे मामलों में फंसाए गए व्यक्तियों को राहत मिलने की उम्मीद है, वहीं असली पीड़ितों के मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की दिशा में भी यह कदम माना जा रहा है।

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