वैश्विक बंधुत्व का आधार है यह रक्षा पर्व
रक्षाबंधन पर्व विशेष
येन बद्धो बलि राजा... रक्षा सूत्र का यह श्लोक सनातन संस्कृति का आधार है।जिसे उच्चारित कर रक्षा सूत्र को कलाई पर बांधा जाता है।वास्तव में सूत्र का बंधन एक रक्षा संकल्प और दायित्व का स्मरण कराना है। यह मात्र भाई बहन का नहीं वरन् समस्त मानव जाति के परस्पर पवित्र संबंधों का संकल्प पर्व है।
इस रिश्ते की सीमाएं क्या है, यह त्यौहार हमारे आध्यात्मिक जीवन में क्या मायने रखता है! इसे जानने के लिए आपको "सहजयोग" से जुड़ना होगा। राखी के रेशम की डोरी का महत्व हमें तभी समझ में आयेगा जब हम पूरी तरह से उसके तत्व को जान लें।
प. पू. श्री माताजी निर्मलादेवी द्वारा संचालित सहजयोग ध्यान पद्धति पूर्ण मानवजाति के लिए एक अद्वितीय देन है। सहजयोग ध्यान पद्धति से आत्मसाक्षात्कार पाने के बाद हमारे सूक्ष्म शरीर में बसे सातों चक्रों को निरंजित करते हुए, "कुण्डलिनी शक्ति" (जो हमारी रीढ़ की हड्डी के नीचे त्रिकोणाकार अस्थि में साढ़े तीन कुंडलों में विराजमान है) ब्रह्मरंध्र को छेद कर ब्रह्मांड में फैली हुई परमेश्वर शक्ति से एकाकार होती है।
हमारे सात चक्रों में से पांचवे चक्र को "विशुद्धि चक्र" (कंठ का भाग) कहते हैं। इसी चक्र के बाईं ओर "बहन और भाई के पवित्र रिश्ते का तत्व है"। यह तत्व भगवान श्री कृष्ण और उनकी बहन विष्णुमाया के पवित्र संबंधों का भी प्रतीक है। श्री माताजी के अनुसार,
भारत में भाई-बहन संबंध अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं सहजयोगियों में भी ऐसा ही होना चाहिए। हमारे यहाँ रक्षाबंधन तथा भाई दूज होता है जिसमें हम भाई को राखी बाँधते हैं। यह राखी विष्णुमाया की शक्ति है जो भाई की रक्षा करती है। समआयु, एक सी सूझ-बूझ, सुरक्षा, प्रेम और पवित्रता के कारण भाई बहन के संबन्ध अत्यंन्त महत्वपूर्ण है। इस संबंध को विष्णुमाया चलती है। (प. पू. श्रीमाताजी, 19-9-92,)
राखी का मतलब है रक्षा करने वाली पवित्र शक्ति इस शक्ति का बंधन बहुत ही ज़ोरदार है और अत्यन्त कोमल भी क्योंकि यह बहन के प्यार की निशानी है, जिसे एक बार राखी बाँधी वहाँ फिर निर्मल रक्षा का स्थान स्थापित किया है।
यह परम्परा है। अब मुनष्य की संवेदन क्षमता इतनी कम हो गई है। कि राखी बाँधना एक यांत्रिक क्रिया हो गई है, जहाँ श्रद्धा की गरिमा नहीं वहाँ सारी सुंदर मानवी परम्पराएं बेजान हो जाती हैं। रक्षाबन्धन बहुत महत्वपूर्ण दिन है। उस दिन परिपूर्णता की माँग करनी चाहिए। बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनानी चाहिए। अपना लक्ष्य हमेशा ऊँची बातों पर रखना चाहिए।
जब हर व्यक्ति एक आदर्श बहन या भाई बनेगा तो "वैश्विक भाईचारे की नींव बनेगी और विश्वशांति के लिए प्रेरणादायी साबित होगी।
आइये इस रेशम की डोर को हम इतना मजबूत करें, जिससे पूरे संसार को विश्व बंधुत्व की प्रेममयी शक्ति से बांध लें!
इसे जानने व अनुभव करने के लिए सहजयोग से जुड़ें।
नजदीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर- 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं।