सहजयोग द्वारा समूह में एक साथ अनेक लोगों का उत्थान संभव है

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सहजयोग एक ध्यान की क्रिया है जिसे प.पू माताजी श्री निर्मला देवी द्वारा 5 मई 1970 से आरम्भ किया गया, जो की आज विश्व के लगभग 120 देशों में प्रचलित है, सहजयोग से कुंडलिनी जागरण एवं आत्मसाक्षात्कार की अनुभूति की जा सकती है, व जैसे ही कुण्डलिनी का जागरण होता है वैसे ही मानव अपने अंदर परम शांति को अनुभव करता है, उसके विचार शून्य हो जाते है,एवं नियमित ध्यान करने से वह धीरे-धीरे अपने अंदर व्याप्त अनेक बीमारियों एवं विकारों से भी निजात पाता है। देश एवं विदेशों के अनेक वैज्ञानिकों ने सहजयोग ध्यान पर शोध किया है, एवं इस ध्यान के माध्यम से परम शान्ति व अनेक बीमारियों एवं विकारों से मुक्ति की पुष्टि की है, इसे हर आयु, धर्म एवं वर्ग के लोग महसूस कर सकते है। आज के इस प्रतियोगी दौर में अत्यधिक तनाव में  रहने वाले युवा एवं विद्यार्थी सहजयोग के माध्यम से तनाव दूर कर सुख एवं आनंदमय जीवन व्यापन कर रहे है। सहजयोग का किसी भी विशेष जाति वर्ण एवं धर्म से मतलब नहीं है इसे सभी मानव अनुभव कर सकते हैं।

      सहज योग को अभिनव अविष्कार कहा जा सकता है क्योंकि यह सामूहिकता में मानवता के उत्थान को करता है इससे पूर्व व्यक्ति अपना व्यक्तिगत उत्थान ही कर पाता था एक समूह में एक साथ अनेक लोगों का उत्थान संभव हुआ जब सहज योग में सामूहिक आत्मसाक्षात्कार की घटना घटित हुई। इसके साथ ही ध्यान का अभ्यास करने वाला व्यक्ति स्वयं अपनी अनुभूति से अन्य व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार दे सकें यह भी संभव  हुआ। इसका लाभ यह हुआ कि जिस तरह एक साथ बैठकर पूजा की जा सकती है उसी प्रकार एक साथ बैठकर ध्यान भी किया जा सकता है तो घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर अगर ध्यान करते हैं तो समस्त घर का मंगल होता है और नकारात्मकता हटकर पावन सकारात्मकता सभी परिवार के सदस्यों के भीतर एक साथ प्रवेश करती है। 
अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 अथवा यूट्यूब चैनल लर्निंग सहजयोगा से प्राप्त कर सकते हैं।

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