सहजयोग के माध्यम से विद्यार्थियों ने जाना माँ सरस्वती की कृपा से तनाव मुक्त होकर दे सकते है परीक्षा

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एलन करियर इंस्टीट्यूट पर इस बार की बसंत पंचमी कुछ विशेष रही,विद्यार्थियों ने माँ सरस्वती को नमन कर जाना सहजयोगा से किस तरह माँ सरस्वती की कृपा को महसूस किया जा सकता है,एवं तनाव मुक्त होकर परीक्षा दे सकते है।एलन इंस्टीट्यूट इंदौर के सभी केंद्रों साउथ तुकोगंज, विजयनगर एवं फूटी कोठी पर समस्त विद्यार्थीयो के लिए सहजयोग की विशेष कार्य शाला का आयोजन किया गया,जिसमे सहजयोगी विशेषयज्ञो द्वारा समस्त विद्यार्थियों को ध्यान के माध्यम से तनाव मुक्त एवं आनंद पूर्वक जीवन शैली में रहना सिखाया एवं स्वयं के भीतर गहन शांति के अनुभव को महसूस करवाया, जिससे विद्यार्थी संतुलन के साथ परीक्षा दे सके।


सहजयोग समिति के प्रमुख पुमेश बाहेती बताया की आज के आज के इस प्रतियोगिक दौर में विद्यार्थी में बहुत तनाव है,विद्यार्थी अती विचार के वेग से ग्रसित है,जिससे वह कन्फूस रहता है, जिससे उसके अंदर अनेक बीमारी प्रवेश कर जाती है,बचपन में ही चश्मा लगना,असंतुलित ब्लड प्रेशर, शूगर, एवं अन्य बीमारी आज बच्चो में आम है।ऐसी स्तिथि में सहजयोगा आज संजीविनी की तरह है,जो व्यक्ति का भीतर से विकास करती है।आपने बताया की समस्त देवी एवं देवता का आशीर्वाद मानव के भीतर ही है,विद्यार्थी एवं कलाकार माँ सरस्वती को विशेष मानते है, एवं आज बसंत पंचमी के विशेष दिवस पर उनका पूजन एवं अर्चन करते है।

ऐसा में जरुरी यह
है की माँ सरस्वती का वास अपने भीतर कहाँ है,एवं उनका आशीर्वाद किस तरह प्राप्त किया जा सकता है,जिससे विद्यार्थियों में अपने विषय के प्रति लगन,एकाग्रता, स्थिरता को प्राप्त कर सके, जिससे उसमें स्मरण शक्ति  भी बढ़ती है,और वह तनाव मुक्त होकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है, यही विशेष आज की इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को बताया गया।
इस अवसर पर एलन कैरियर इंस्टिट्यूट के सेंटर हेड श्री कमल शर्मा ने बताया की, इस कार्यशाला से हमारे विद्यार्थियों को निश्चित ही लाभ प्राप्त होगा, वह तनाव मुक्त रहेंगे जिससे उनके परिणाम भी बेहतर होंगे, उन्होंने इस कार्यशाला को आयोजन करने वाले समस्त सहजयोग सिमित के सदस्यों का भी आभार माना।    
उल्लेखनीय है कि, सहजयोग की इस ध्यान की विधि का अनुसरण देश एवं विदेश के अनेक विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में प्राता: असेम्बली के दौरान किया जा रहा है जिससे उनके परीक्षा परिणामों के साथ व्यहार एवं आचरण में भी सुधार आ रहा है।    


मूलतः सहजयोग एक ध्यान की क्रिया है जिसे प.पू माताजी श्री निर्मला देवी द्वारा 5 मई 1970 से आरम्भ किया गया, जो की आज विश्व के 120 देशो में प्रचलित है, सहजयोग से कुंडलिनी जागरण एवं आत्मसाक्षात्कार की अनुभूति की जा सकती है, व जैसे ही कुण्डलिनी का जागरण होता है वैसे ही मानव अपने अंदर परम शांति को अनुभव करता है, उसके विचार शून्य हो जाते है,एवं नियमित ध्यान करने से वह धीरे-धीरे अपने अंदर व्याप्त अनेक बीमारियों एवं विकारो से भी निजात पाता है। देश एवं विदेशो के अनेक वैज्ञानिको ने सहजयोग ध्यान पर शोध किया है, एवं इस ध्यान के माध्यम से परम शान्ति व अनेक बीमारियों एवं विकारो से मुक्ति की पुष्टि की है, इसे हर आयु, धर्म एवं वर्ग के लोग महसूस कर सकते है। आज के इस प्रतियोगी दौर में अत्यधिक तनाव में  रहने वाले युवा एवं विद्यार्थी सहजयोग के माध्यम से तनाव दूर कर सुख एवं आनंदमय जीवन व्यापन कर रहे है। सहजयोग का किसी भी विशेष जाति वर्ण एवं धर्म से मतलब नहीं है इसे सभी मानव अनुभव कर सकते है, एवं कर रहे है,यही कारण है कि सहजयोग ध्यान आज भारत के साथ विश्व भर में नियमित अभ्यास किया जा रहा है। इसके माध्यम से विश्व के लाखो लोग अनेक बीमारियों को दूर कर शांति अनुभव कर रहे है।

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