आज का युवा तनाव से ग्रसित

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आदित्य शर्मा

तनाव क्या है?
स्ट्रेस के लक्षण -
तनाव के प्रमुख कारण क्या है?
तनाव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
मानसिक तनाव कैसे दूर करें?
मानसिक तनाव दूर करने के घरेलू उपाय
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
तनाव दूर करने के लिए क्या खाएं?
तनाव प्रबंधन क्या है?
तनाव के लिए कौन सा हार्मोन जिम्मेदार है?
तनाव कितने समय तक रहता है?
आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में स्ट्रेस एक आम समस्या बन गई है। तनाव को एक अनचाहा मेहमान कहा जा सकता है, जो कभी भी किसी के भी घर में दस्तक दे सकता है। तनाव किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, चाहे वह बच्चा हो, युवा हो या बुजुर्ग। 

तनाव का असर हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर पड़ता है। यह हमें चिड़चिड़ा, निराशा से भरा हुआ और थका हुआ महसूस कराएगा जिससे नींद की समस्या उत्पन्न होती है। इसके साथ ही, स्ट्रेस के कारण हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी बीमारियां हमें घेर लेती हैं। तनाव या फिर इन स्वास्थ्य समस्याओं की स्थिति में आप हमारे स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। 

तनाव क्या है?
स्ट्रेस या तनाव हमारे शरीर की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, जिसका अनुभव हमें तब होता है, जब हम किसी दबाव में काम करते हैं और उस काम को करने में असमर्थ महसूस करते हैं। हालांकि थोड़ा तनाव होना हमारे लिए अच्छा ही होता है, जिससे बिना किसी समस्या के कार्य पूरा भी हो जाए। 
अत्यधिक या लंबे समय तक तनाव हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। जब तनाव अत्यधिक या अनियंत्रित हो जाए, तो यह हमारे मूड, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और हमारे रिश्तों को भी खराब कर सकता है।
तनाव (Stress) होने पर हमारा शरीर कोर्टिसोल नाम का हार्मोन रिलीज करता है। इसके कारण दिल की धड़कन बढ़ जाती है और इसका प्रभाव शरीर और चेतना पर देखने को मिलता है। तनाव की स्थिति में शरीर बड़ी मात्रा में रासायनिक कोर्टिसोल, एपिनेफ्रीन और नॉरपेनेफ्रिन नामक हार्मोन का निर्माण करता है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देता है।

स्ट्रेस के लक्षण -
मानसिक तनाव के लक्षणों की सूची बहुत बड़ी है। कुछ सामान्य लक्षण है, जो एक व्यक्ति को तनाव के दौरान महसूस हो सकते हैं जैसे - 

सिरदर्द
उदास रहना
एकाग्रता की कमी
छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाना
मायूस होना
मौत या खुदकुशी का ख्याल आना
कम बोलना
निराशा
अनिद्रा
थकान
मांसपेशियों में दर्द
भूख में बदलाव
निर्णय लेने में कठिनाई
यह कुछ मानसिक तनाव के लक्षण है, जिसके बारे में आपको ज़रूर पता होना चाहिए। इन लक्षण के महसूस होते ही उचित इलाज आवश्यक है। समय पर इलाज तनाव को कम करने में सहायक होंगे।

तनाव के प्रमुख कारण क्या है?
स्ट्रेस कई कारणों से हो सकता है और किस कारण से आपको तनाव (stress) हो रहा है, इसका पता आपके स्वास्थ्य के जांच के बाद ही चल पाता है। मानसिक तनाव के प्रमुख कारण इस प्रकार है - 

काम का दबाव
परिवार की समस्याएं
आर्थिक समस्याएं
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
रिश्तों में समस्याएं
नौकरी की चिंता
दुःखद अनुभव, जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु या कोई दुर्घटना
यह उदासी और निराशा के मुख्य कारण है, जो कहीं न कहीं एक व्यक्ति के जीवन में तनाव की स्थिति उत्पन्न कर सकती है। 

तनाव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
सामान्य तौर पर मनुष्य का मस्तिष्क तनाव को सहन कर सकता है। लेकिन स्वास्थ्य पर तनाव का प्रभाव बहुत ज्यादा हो सकता है। यदि आप क्रोनिक स्ट्रेस का सामना कर रहे हैं, तो आप अवसाद, नींद में समस्या और हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। क्रोनिक स्ट्रेस हमारे हृदय, प्रतिरक्षा, और पाचन संबंधी प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है। समय रहते इस समस्या का निदान और इलाज बहुत ज्यादा अनिवार्य है। 

मानसिक तनाव कैसे दूर करें?
तनाव से निपटने के कई तरीके हैं और हर तरीके को समझना आपके लिए अनिवार्य है। निम्न तरीके से तनाव से दूरी बनाने में मदद मिल सकती है - 

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: स्वस्थ जीवनशैली तनाव को दूर करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। नियमित रूप से व्यायाम करना, स्वस्थ आहार, पर्याप्त नींद, धूम्रपान और शराब से दूरी स्वस्थ जीवन शैली के कारक हैं। 
तनावपूर्ण गतिविधियों से बचें: कुछ गतिविधियां हैं, जिससे बचने की सलाह दी जाती है। कुछ कार्य है जिससे तनाव में वृद्धि हो सकती है जैसे - अत्यधिक काम करना, सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताना, नकारात्मक लोगों के आस-पास रहना, इत्यादि। 
रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करना: ऐसे कार्यों को रोजाना करें जिससे आपके मन और मस्तिष्क को आराम मिले जैसे - ध्यान, योग, प्राणायाम, इत्यादि।
विशेषज्ञ की मदद लें: यदि आप तनाव से निपटने में असमर्थ है, तो इस स्थिति में विशेषज्ञ आपकी मदद कर सकते हैं। यदि आप हमारे चिकित्सक या मनोचिकित्सक से परामर्श लेते हैं, तो आपको इस स्थिति के इलाज को खोजने में बहुत मदद मिलेगी।
मानसिक तनाव दूर करने के घरेलू उपाय
इस बिंदु पर ध्यान देना बहुत ज्यादा जरूरी है, इसलिए इसके बारे में हम आपको विस्तार से बता रहे हैं। नीचे मानसिक तनाव दूर करने के घरेलू उपायों के बारे में बताया गया है - 

योग और मेडिटेशन: रोजाना योग व मेडिटेशन करने से मानसिक शांति मिलती है।
अरोमा थेरेपी: इस थेरेपी की शुरुआत भारत में ही हुई थी, लेकिन वर्तमान में चीन में इसे बहुत ज्यादा किया जाता है। लैवेंडर या चंदन जैसे सुगंधित तेल का उपयोग करने से तनाव कम करने में मदद मिल सकती है।
गहरी सांस लेना: यह अनुलोम विलोम जैसा एक व्यायाम है, जिससे आपको बहुत लाभ मिलेगा। 
संगीत सुनें: सुकून देने वाला संगीत सुनने से मन शांत रहता है।
अच्छी नींद लें: पर्याप्त नींद लेने से तनाव बहुत कम होता है।
व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि तनाव को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।


 

तनाव दूर करने के लिए क्या खाएं?
तनाव दूर करने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों से लाभ हो सकता है जैसे - 

फल और सब्जियां
होल ग्रेन
प्रोटीन
विटामिन बी
कैल्शियम 
कैल्शियम का सेवन तनाव के हार्मोन (कोर्टिसोल) के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।

तनाव प्रबंधन क्या है?
तनाव प्रबंधन का अर्थ है ऐसे कार्यों को करना, जिससे तनाव को कम करने में मदद मिले। नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद आपके लिए बहुत ज्यादा लाभकारी साबित हो सकती है।

तनाव के लिए कौन सा हार्मोन जिम्मेदार है?
तनाव के लिए कोर्टिसोल हार्मोन जिम्मेदार होता है। कोर्टिसोल एक तनाव हार्मोन है जो ब्लड शुगर और मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करता है। सूजन कम करने में और याददाश्त को बढ़ाने में यह हार्मोन बहुत ज्यादा आवश्यक साबित होता है। 

तनाव कितने समय तक रहता है?
इस प्रश्न का उत्तर आपकी जीवनशैली पर निर्भर करता है। यदि आप एक स्वस्थ जीवनशैली व्यतीत नहीं करते हैं तो तनाव आपको लंबे समय तक प्रभावित करेगा। और यदि आप स्वस्थ जीवन शैली का पालन करते हैं, तो तनाव लंबे समय तक बना नहीं रहता है।

युवाओं में तनाव का कारण

समाज में शैक्षणिक रोजगार और सामाजिक स्तर पर सुधार लाने के लिए संगठनात्मक रूप से प्रयासों की भी जरूरत है। देश का युवा देश की अनमोल पूंजी है। उसे यूं ही बर्बाद हो जाने और दर-दर की ठोकरें खाने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता, बल्कि उसे साथ लेकर चलने, उसकी भावनाओं के प्रति संवेदनशील होने की महती आवश्यकता है। उसे जीवन का मोल समझाने की जरूरत है, और यह महसूस करवाने की जरूरत है कि उसके पास यदि स्वस्थ जीवन रहा तो वह भी अमूल्य रत्न है, जिसके सहारे वह कोई भी गतिविधि करके अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। यदि युवा सही मार्ग पर चल पड़ा तो भारत को श्रेष्ठतम राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। युवा शक्ति तन-मन-धन से राष्ट्र के प्रति समर्पित होनी चाहिए, तभी देश वैश्विक पटल पर नए कीर्तिमान स्थापित कर पाएगा। युवाओं के लिए कारगर नीति का निर्माण करना चाहिए…

किसी भी देश के लिए उनके युवावस्था वर्ग के लोग बहुमूल्य मानव संसाधन का निर्माण करते हैं। भारत में वर्तमान में जनसंख्या के मामले में चीन को पछाडक़र प्रथम स्थान पर पहुंच गया है। भारत वर्तमान में सबसे युवा देश है। जनसंख्या का लगभग 65 फीसदी हिस्से के लोग 35 वर्ष की आयु से नीचे हैं। हालांकि युवावस्था तथा किशोर अवस्था को आम तौर पर जीवन का स्वस्थ समय माना जाता है। परंतु वर्तमान के रहन-सहन के तौर तरीकों ने उनके जीवन को तनावपूर्ण बना दिया है। एक नवीनतम अध्ययन के अनुसार कम वजन, सेल फोन की लत का खतरा, मानसिक कमजोरी इत्यादि युवाओं में शीर्ष स्वास्थ्य समस्याएं हैं। इस अलौकिक युवा जीवन के दौरान उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसमें मानसिक तनाव एक मुख्य कारक है। वर्तमान में शैक्षिक दबाव भी युवाओं में बहुत देखने को मिलता है। पढ़ाई के प्रचंड प्रतिस्पर्धा में आत्मविश्वास की कमी तथा शिक्षा में विद्यार्थियों के बीच सामाजिक तुलनात्मकता भी बहुत बढ़ गई है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर तुलनात्मक जीवन भी युवाओं के मानसिक तनाव का प्रमुख कारक है।

सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग युवाओं में अनिद्रा, अनियमितता और स्वार्थपरता बढ़ा रहा है। युवाओं में आत्मनिर्भरता की कमी के कारण आत्मविश्वास में बेहद गिरावट आई है। इसके अलावा सही पोषण की कमी और नशे का सेवन भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। आज का युवा पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण अपने खानपान को पूर्ण रूप से परिवर्तित कर चुका है जिसके कारण उसे अनेकों अनावश्यक बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। युवा तेजी से बदलती जीवन शैली के कारण सही और पौष्टिक आहार की कमी से जूझ रहा है। जंक फूड का अधिक सेवन उनमें थकान, कमजोरी और मानसिक तनाव को बढ़ा रहा है। युवा अक्सर मानसिक तनाव का सामना करने के लिए शराब और नशीले पदार्थों का सहारा लेते हैं। इसके कारण स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करते हैं, जोकि मानसिक तनाव को और भी बढ़ा देता है। इसके अलावा आज का युवा बहुत जल्दी से कैरियर की ऊंचाइयों पर पहुंचना चाहता है। अनियंत्रित प्रतिस्पर्धा की यह दौड़ युवाओं के समक्ष अनेक समस्याएं पैदा कर रही है। अभिभावकों का प्रभाव तथा श्रेष्ठतम परिणाम पाने की लालसा आज के युवाओं में उतावलेपन की प्रवृत्ति को बढ़ा रही है। अक्सर समाचार पत्रों में हर दूसरे-तीसरे दिन किसी न किसी छात्र की सुसाइड करने की खबर सुर्खियों में रहती है। आज का युवा पढ़ाई के दबाव के कारण प्रारंभ में अपना बचपन खो देता है। जब वह युवा अवस्था में होता है तो करियर का यह दबाव उसके जीवन को तबाह कर रहा है। नौजवान युवाओं को मानसिक तनाव से निपटने के लिए अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की बेहद आवश्यकता है। योग व नियमित व्यायाम से मानसिक तनाव को दूर करने में मदद मिलती है। यह ऊर्जा को व्यक्ति में बनाए रखने में मदद करता है और उनके जीवन को भी सुधारता है। पर्याप्त नींद, व्यायाम और पौष्टिक आहार का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। समाज में शैक्षणिक रोजगार और सामाजिक स्तर पर सुधार लाने के लिए संगठनात्मक रूप से प्रयासों की भी जरूरत है। देश का युवा देश की अनमोल पूंजी है।

उसे यूं ही बर्बाद हो जाने और दर-दर की ठोकरें खाने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता, बल्कि उसे साथ लेकर चलने, उसकी भावनाओं के प्रति संवेदनशील होने की महती आवश्यकता है। उसे जीवन का मोल समझाने की जरूरत है, और यह महसूस करवाने की जरूरत है कि उसके पास यदि स्वस्थ जीवन रहा तो वह भी अमूल्य रत्न है, जिसके सहारे वह कोई भी गतिविधि करके अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। यदि युवा सही मार्ग पर चल पड़ा तो भारत को श्रेष्ठतम राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। युवा शक्ति तन-मन-धन से राष्ट्र के प्रति समर्पित होनी चाहिए, तभी देश वैश्विक पटल पर नए कीर्तिमान स्थापित कर पाएगा। देश तथा राज्यों की विविध सरकारों को युवाओं के लिए कारगर नीति का निर्माण करना चाहिए। युवाओं के लिए राष्ट्रीय नीति इस तरह की होनी चाहिए ताकि वे नशेबाजी से विमुख होकर सृजनात्मक कार्यों की ओर अग्रसर हों। सभी युवाओं के लिए खेल गतिविधियों में हिस्सा लेना अनिवार्य किया जाना चाहिए। इससे वे नशे से विमुख होकर अपने शारीरिक व मानसिक विकास की ओर अग्रसर होंगे। राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकार के कार्यों में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान किया जाना चाहिए कि जिसकी जितनी भागीदारी होगी, उसके सरकारी नौकरी प्राप्त करने के अवसर उसी के अनुरूप बढ़ा दिए जाने चाहिए। इससे युवाओं की हर तरह की चिंता खत्म होगी।

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