वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वाहन आज भमोरी नदी में तैरेगी पाषाण प्रतिमा

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हाटपीपल्या से संजय प्रेम जोशी की रिपोर्ट
 प्रतिवर्षानुसार हाटपीपल्या स्थित भगवान नृसिंह की प्रतिमा आज  नृसिंह घाट स्थित भमोरी (सेंधला) नदी में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में तैराया जाएगा। करीब साढ़े सात किलो वजनी इस प्रतिमा को नदी में तीन बार छोड़ा जाता है। प्रतिमा के हर बार डूबने अथवा न डूबने पर भविष्य का निर्धारण होता है।
हाटपीपल्या स्थित नृसिंह मंदिर में विराजित इस प्रतिमा को चमत्कारिक माना जाता है। एक शताब्दी से अधिक समय से मंदिर में प्रतिष्ठित इस प्रतिमा को प्रतिवर्ष डोलग्यारस के दिन समारोहपूर्वक नृसिंह घाट ले जाकर नदी के जल में 3 बार छोड़ा जाता है। यह पूरा आयोजन मंदिर के संचालन के लिए गठित नृसिंह सेवा समिति के तत्वावधान में किया जाता है। इस दृश्य को देखने के लिए घाट पर हजारों श्रद्धालु पहुँचते हैं। प्रतिमा को नदी के चल में छोड़ने पर यह मान्यता है कि

आगामी वर्ष सुखद रहेगा, दो बार तैरे तो वर्ष के 8 माह सुखद रहेंगे, एक बारी ही तैरे तो वर्ष साधारण रहेगा और तीनों बार डूब जाए तो वर्ष अनिश्चितताओं से गुजरेगा। नृसिंह प्रतिमा को लेकर चमत्कारों से जुड़ी कई घटनाएँ क्षेत्र में प्रचलित हैं। 
 नगर परिषद अध्यक्ष के प्रतिनिधि अरुण राठौर एवं उपाध्यक्ष निर्भय सिंह तलैया ने बताया 45 वर्ष पूर्व 1980 में और 1985 में डोल ग्यारस (14 सितंबर) के एक दिन पूर्व तक वर्षा नहीं होने से नृसिंह घाट सूखा पड़ा था। श्रद्धालुओं को यह चिंता थी। कि प्रतिमा को कैसे तैराया जाए। नदी में टैंकरों से जल डालने पर भी विचार किया गया, किंतु एक दिन पूर्व ही अचानक इंद्र देवता प्रसन्नहुए आए ओर इतना पानी बरसाया कि नदी में बाढ़ आ गई। वर्षा प्रतिमा तैराने के 10 मिनट पूर्व थम गई। क्षेत्र सेजुड़े वरिष्ठ सदस्यों ने बताया  कि ऐसा ही चमत्कार सन 1991 में भी हुआ था। बताया गया है कि वर्ष 1936 में चौथी पार नदी के जल में डालने पर 'प्रतिमा' लुप्त हो गई थी। खोजने पर
बताया कि उस पुजारी परिवार के वरिष्ठ सदस्य  के स्वप्न में प्रतिमा ने सुमराखेड़ा स्थित सेंधला नदी में होने का संकेत दिया और प्रतिमा वहीं मिली, जिसे गाजे-बाजे से पुनः प्रतिष्ठित किया गया। वर्ष 1972 में प्रतिमा अचानक खंडित हो गई,
  स्थानी सोनी परिवार के सदस्यों ने  चाँदी के तारों से लपेट कर जोड़ा था। उसी वर्ष डोल ग्यारस के दिन जब प्रतिमा को तैराया गया तो वह पूरी तरह अक्षत मिली। चाँदी के तार गायब मिले।विधायक मनोज चौधरी अरुण राठौर निर्भय सिंह  तलेया आदि ने बताया यह पर्व कई चमत्कारों से परिपूर्णहै । 
आज  शाम को 5 बजे बाद फूल डोलों के जुलूस के साथ प्रतिमा को नृसिंह घाट ले जाया जाएगा। वहाँ पूजा-अर्चना के साथ प्रतिमा को माल्यार्पण करने की बोली लगाई जाएगी। पश्चात प्रतिमा को नदी के जल में डाला जाता है तथा आरती के बाद प्रसाद का वितरण होता है। यहाँ इस सबसे बड़े समारोह के परिप्रेक्ष्य में घाट एवं सड़क की माकूल व्यवस्था नहीं हो पाई है। महत्वपूर्ण सनातन कार्यक्रम में क्षेत्रीय सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी हाटपिपलिया विधायक मनोज चौधरी बागली विधायक मुरली भंवरा सहित अन्य जनप्रतिनिधि इस कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। 
 स्थानीय लोगों ने नाम ना बताने की शर्त पर  बताया की  प्रशासन तथा जनसंपर्कविभाग को चाहिए कि इस महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन का लाइव प्रसारण भी करें। तथा दूरस्थ अंचलों से आने वाले श्रद्धालुओं को यह दृश्य देखने की और बैठने की व्यवस्था भी माकूल हो।

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