"विकास" की चकाचौंध में दबी आवाज़ें: ग्रीन फील्ड रोड का विरोध क्यों जरूरी है?**
ग्रीन फील्ड रोड के विरोध में एक अत्यंत ज्वलनशील लेख
यह लेख समाज, पर्यावरण और स्थानीय जनता के अधिकारों की आवाज को बुलंद करता है
आज जब देश को "विकासशील" से "विकसित" बनाने की होड़ लगी है, तब ग्रीन फील्ड रोड जैसे प्रोजेक्ट्स को विकास का प्रतीक बताया जा रहा है। लेकिन इस चमचमाती सड़क के नीचे क्या आप उस किसान की चीख सुन सकते हैं जिसकी जमीन छीनी जा रही है? क्या आप उस आदिवासी की पीड़ा महसूस कर सकते हैं जिसे अपनी ही जड़ों से उखाड़कर फेंका जा रहा है?
ग्रीन फील्ड रोड सिर्फ एक सड़क नहीं, यह एक खतरनाक मिसाल है – जहां *जनता की सहमति के बिना, **प्राकृतिक संसाधनों की बेशर्म लूट*और *स्थानीय संस्कृति का विनाश किया जा रहा है।
1. जबरन भूमि अधिग्रहण: क्या यही लोकतंत्र है?
सरकार और कंपनियों की मिलीभगत से हजारों एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि छीनी जा रही है। किसानों से कहा जा रहा है कि यह "राष्ट्रीय हित" में है, लेकिन क्या कोई भी विकास लोगों की कीमत पर हो सकता है? जिन हाथों ने देश को अन्न दिया, उन्हीं हाथों से उनकी जमीन छीनी जा रही है – यह कैसा न्याय है?
2. पर्यावरण की बलि चढ़ती "प्रगति"
ग्रीन फील्ड रोड के लिए हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं, जंगल साफ किए जा रहे हैं, और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट किए जा रहे हैं। क्या यही वह "हरित भविष्य" है जिसकी बातें स्कूलों में सिखाई जाती हैं?
पर्यावरणविद् चेतावनी दे चुके हैं कि यह सड़क पारिस्थितिकी तंत्र को स्थायी नुकसान पहुंचाएगी, लेकिन सरकारें इन चेतावनियों को "विकास-विरोधी" कहकर खारिज कर देती हैं।
3. आदिवासी और ग्रामीण समुदायों का विस्थापन
इस सड़क का सबसे क्रूर असर उन समुदायों पर है जो सदियों से जंगलों और जमीनों पर निर्भर हैं। न कोई पुनर्वास नीति, न रोजगार का वादा – बस एक बुलडोज़र आता है और सब कुछ मिटा देता है।
क्या यह सड़क आदिवासियों के सपनों पर दौड़ेगी? क्या उनके आँसुओं से इसका डामर तैयार किया जाएगा?

4. कॉर्पोरेट मुनाफा बनाम जनहित
इस प्रोजेक्ट से जिन कंपनियों को फायदा होगा, वे पहले से ही अरबों की मालकिन हैं। लेकिन जिन लोगों का नुकसान होगा, उनके पास आवाज़ तक नहीं है। यह सड़क गरीब की जेब काटकर अमीर की तिजोरी भरने का माध्यम बन चुकी है।
क्या यही है "नया भारत"? जहाँ कॉर्पोरेट की मुनाफाखोरी को "विकास" कहा जाता है?
हमारी मांगें स्पष्ट हैं:
1. तत्काल भूमि अधिग्रहण रोका जाए।
2. जन-सुनवाई और जन-सहमति के बिना कोई निर्माण कार्य न हो।
3.पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) पारदर्शी तरीके से हो।
4. स्थानीय लोगों को मुआवज़ा नहीं, विकल्प और अधिकार दिए जाएं।
5.ग्रीन फील्ड रोड जैसे प्रोजेक्ट्स को पुनः विचारार्थ लाया जाए।
अंतिम शब्द: चुप रहना अब गुनाह है
अगर आज हमने आवाज नहीं उठाई, तो कल हमारी जमीन, हमारा जंगल, हमारी पहचान – सबकुछ खत्म हो जाएगा। ग्रीन फील्ड रोड विकास नहीं, विनाश का रास्ता है।
अब समय है सवाल पूछने का। समय है सड़कों पर उतरने का। समय है यह कहने का कि – 'हम विकास के नाम पर विनाश नहीं स्वीकार करेंगे!'
ग्रीनफील्ड\_रोड\_विरोध
जन\_आंदोलन\_जिंदाबाद

