विधवा का पीएम आवास तोड़ा गया, परिवार बेघर: क्या सरकारी योजनाओं में भी गरीबों के लिए न्याय नहीं?
सुनील नगेले
शिवपुरी। कोर्ट के आदेश पर विधवा का पीएम आवास तोड़ा गया, जिससे परिवार बेघर हो गया। यह घटना शिवपुरी की संजय कॉलोनी में हुई, जहां ममता विश्वकर्मा का मकान कोर्ट के आदेश पर तोड़ दिया गया। ममता अपने पांच बच्चों (चार बेटियों और एक बेटे) के साथ रहती हैं और सिलाई का काम करके परिवार का भरण-पोषण करती हैं। इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जिन पर प्रशासन और सरकार को ध्यान देना जरूरी है।
घटना का विवरण
* शिकायत: पड़ोस में रहने वाली संगीता खटीक ने कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी कि ममता का मकान रास्ते और सरकारी जमीन पर बना है।
* कोर्ट का फैसला: कोर्ट ने संगीता खटीक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मकान को हटाने का आदेश दिया।
* पीड़िता का पक्ष: ममता विश्वकर्मा का कहना है कि उनके पति ने यह जमीन ₹80,000 में बैजनाथ प्रसाद पांडेय से खरीदी थी। इसी जमीन पर उन्होंने पीएम आवास योजना के तहत मकान बनवाया था।
* पारिवारिक स्थिति: ममता के पति का निधन हो चुका है और वह सिलाई करके अपने पांच बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं। उनकी बड़ी बेटी की शादी दो महीने बाद होनी थी।
* कार्रवाई का परिणाम: मकान गिराए जाने के दौरान ममता का बेटा सदमे में बेहोश हो गया, जिसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पूरा परिवार बेघर हो गया और गहरे सदमे में है।
उठाए गए सवाल
* पीएम आवास की स्वीकृति: अगर जमीन सरकारी थी, तो पीएम आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए राशि कैसे स्वीकृत हुई? क्या सरकारी अधिकारियों ने जमीन की जांच-पड़ताल नहीं की?
* अधिकारियों की जवाबदेही: इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी?
* न्याय की मांग: एक तरफ कोर्ट का आदेश है, तो दूसरी तरफ एक बेसहारा महिला का परिवार सड़क पर आ गया है। इस स्थिति में न्यायपालिका और प्रशासन को क्या रास्ता निकालना चाहिए?
* राजनैतिक हस्तक्षेप: क्या इस मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप की जरूरत है ताकि बेघर हुए परिवार को फिर से बसाया जा सके?
यह घटना एक महिला और उसके बच्चों के लिए एक भयानक त्रासदी है। यह एक ऐसा मामला है जो गरीबों के लिए न्याय और सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े करता है। प्रशासन को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।