सहजयोग की गहनता से प्रार्थना के पूर्ण होने की सिद्धि प्राप्त होती है
सहजयोग संस्थापिका श्री माताजी निर्मला देवी जी द्वारा हमें मार्गदर्शित किया गया है कि ध्यान कोई क्रिया नहीं है बल्कि ध्यान में स्थित होना होता है। ध्यान हमें वैराग्य सिखाता है। अधिकांशत: मनुष्य में चाहना अथवा इच्छाएं ही बलवती होती हैं, कभी अपने लिए, कभी अपनों के लिए। लौकिक जीवन में कुछ ना कुछ उसे चाहिए ही होता है और जब वह परम शक्तिमान के सामने उपस्थित हो प्रार्थना को तत्पर होता है तो वही सब जो उसके दिमाग में चल रहा है जिसे वह आवश्यक समझता है वही एक के बाद एक उसकी प्रार्थनाओं का हिस्सा होता चला जाता है। जबकि वास्तव में परमात्मा को जानने के बाद, ध्यान में ईश्वर तत्व का एवं अपनी आत्मा में परम तत्व का अनुभव कर लेने के बाद मनुष्य परिपक्व मति हो जाता है। अब वह जान जाता है कि लौकिक जीवन की अनंत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए यह प्रार्थना का अनमोल समय उसे खोना नहीं है। वास्तव में परमात्मा से परम मांगना चाहिए अलौकिक मांगना चाहिए, परंतु ध्यान के पूर्व दृष्टि के संकोच के कारण वह बड़ा नहीं सोच पाता। सहजयोग में अत्यंत सरलता से ध्यान के द्वारा आत्मा से साक्षात्कार का अनुभव होता है और हम अपने भीतर गहनता का अनुभव करते हैं यही गहनता हमारी मन बुद्धि को परिपक्व करती है गहरा करती है तब हम प्रार्थना में निर्विचार हो जाते हैं और हमारी ऐसी प्रार्थनाएं फलीभूत भी होती हैं। ध्यान में आपका कोई सगा संबंधी नहीं है, आप इसमें अकेले हैं यह आपकी व्यक्तिगत यात्रा है। यह भगवान की ओर एक निजी यात्रा है, आपको अपने भीतर अकेले आगे बढ़ना होता है। लेकिन ध्यान मन में आप अकेले हैं। कोई भी वहां मौजूद नहीं है। एक बार जब आप उस सागर में प्रवेश करते हैं तो आपका परिवार पूरी दुनिया हो जाती है क्योंकि तब हमारा संयोग परम से हो जाता है और तब हमें अहसास होता है कि हम जमीन के किसी एक छोटे से टुकड़े के मालिक नहीं है बल्कि संपूर्ण धरा के स्वामी हैं। इस स्थिति में हमारी प्रार्थनाओं का विस्तार हो जाता है। पर पीड़ा को समझने की गहन शक्ति का विकास हमारे भीतर होने लगता है और तब हमारी प्रार्थनाओं को पूर्ण होने की सिद्धि प्राप्त हो जाती है।
सहजयोग में आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति के पश्चात नियमित ध्यान से उपरोक्त वर्णित अनुभव सहज ही प्राप्त हो जाता है।
अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं।