अनहद (हृदय) चक्र पर मां कूष्माण्डा की आराधना से यश व आरोग्य में वृद्धि होती है

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 नवरात्रि महोत्सव के चतुर्थ दिवस मां कूष्माण्डा की आराधना की जाती है।कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां के पास इन सभी चीजों के अलावा हाथ में अमृत कलश भी है। इनका वाहन सिंह है और इनकी भक्ति से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है। ये अनहद चक्र को नियंत्रित करती हैं।
चौथा चक्र अनहद (हृदय चक्र) कहलाता है। इस हृदय चक्र की बारह पंखुड़ियाँ हैं और यह उरोस्थि (स्टनर्म) के पीछे मेरूरज्जु में स्थित है। यह चक्र बारह वर्ष की अवस्था तक रोग प्रतिकारक उत्पन्न करता है। ये रोग प्रतिकारक (antibodies) पूरे शरीर में प्रसारित किये जाते हैं जिससे कि शरीर या मस्तिष्क पर किसी भी प्रकार के आक्रमण की अवस्था में मुकाबला करने के लिये यह तैयार हो सकें। ( 'सहजयोग' पुस्तक )
 अतः यह चक्र रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
सहजयोग संस्थापिका श्री माताजी निर्मला देवी जी ने अनहद चक्र के अन्तर्जात गुणों का वर्णन इस प्रकार किया है कि,
1. आत्मविश्वास और निडरता - ये देवी की कृपा से होता है इसलिये हमारे यहाँ शक्ति को बहुत बड़ा मानते हैं। जब जगदम्बा चक्र आपके अन्दर जाग्रत हो जाता है तो आपके अन्दर से भय, आशंका सब भाग जाती है, कोई किसी प्रकार का भय नहीं रहता।, आपका व्यक्तित्व अत्यन्त शान्तिमय हो जाता है, क्योंकि आपकी मां आपके साथ होती हैं। यह दृढ़ विश्वास कि वे सदा हमारे साथ हैं, सदा हमारी रक्षा करता है। व्यक्ति को अपने आपमें पूर्ण पूर्णतः आत्म विश्वस्त होना चाहिये, परन्तु अहंकार को आत्मविश्वास नहीं मान लेना चाहिये। आत्मविश्वास पूर्ण विवेक है, पूर्ण धर्म, पूर्ण प्रेम, पूर्ण सौन्दर्य और पूर्ण परमात्मा है। इसे यही होना चाहिये।
2. प्रेम भाव - हृदय चक्र जाग्रत होते ही यह प्रेम बहने लगता है। मानव को परमात्मा के दिये उपहारों में से प्रेम सबसे बड़ा उपहार है और व्यक्ति को चाहिये कि प्रयत्न करके इसे विकसित करे। प्रेम में स्वार्थ नहीं होता है, आनन्द होता है और इसी आनन्द की अनुभूति आपने करनी है तथा अन्य लोगों को भी देनी है। प्रेम आदिशक्ति का संदेश है।4. निर्लिप्तता - निर्लिप्तता का अर्थ है कि आपके पास सभी कुछ है फिर भी इससे लिप्त नहीं हैं। क्रोध, वासना, लालच सभी अवगुण दूर हो जाते हैं। तब आनन्द का भी बाहुल्य होगा। भोजन, कपड़े, घर- बच्चों में भी आपकी रूचि होनी चाहिये, पर साथ ही साथ आपको जागरूक होना चाहिये की आप इनसे लिप्त नहीं हो सकते।
कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार के बाद जब यह चक्र प्रकाशित होता है तो हमारे अन्दर सुरक्षा की भावना जाग्रत हो जाती है। हम निर्भयतापूर्वक ओजस्वी हो जाते हैं। अत्यन्त करुणामय । आपका सरोकार स्वयं से हटकर अन्य लोगों के प्रति होता है, अन्य लोगों के प्रति आपमें प्रेम उमड़ता है। जो लोग कभी आपके शत्रु थे, वे अच्छे मित्र बन जाते हैं।
अतः इस नवरात्रि अनहद चक्र के संतुलन को स्थापित करने के लिए कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने हेतु टोल फ्री नम्बर  18002700800 पर संपर्क करें।

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