रुझानों में मध्यप्रदेश कांग्रेस को तगड़ा झटका लगते आ रहा नजर... हार के पांच बड़े कारण

  • Share on :

भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगता नजर आ रहा है। अब तक के रुझानों के अनुसार, सत्तारूढ़ भाजपा जीत की ओर बढ़ती मालूम पड़ रही है। मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से 162 सीटों पर भाजपा आगे है, जबकि कांग्रेस 65 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। अब तक के रुझानों में कांग्रेस की हार और भाजपा की प्रचंड जीत के संकेत हैं। सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भाजपा एकबार फिर सरकार बनाने की ओर है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार के पीछे पांच कौन से कारण रहे। उन वजहों पर एक नजर...
1- गुटबाजी ने डुबोई लुटिया 
इस बार मध्य प्रदेश में कांग्रेसी खेमे में तगड़ी गुटबाजी देखने को मिली। बागी कांग्रेस नेतृत्व को सीधी चुनौतियां देते नजर आए। कई सीटों पर कांग्रेस अपने बागियों के खिलाफ ही जूझती नजर आई। भाजपा नेताओं ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच अंदरूनी खींचतान के आरोप लगाते नजर आए। यही नहीं गंभीर मसलों पर कमलनाथ और दिग्विजय के बयानों में भी अंतर नजर आया। वहीं कांग्रेस नेता खुद को एकजुट साबित करने के बाजाए ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही कोसते नजर आए। 
2- वादों पर नहीं जगा भरोसा 
कांग्रेस ने घोषणा-पत्र में 1,200 से अधिक वादे किए थे। फिर भी वह लोगों का यकीन हासिल करने में विफल रही। पूर्व की कमलनाथ सरकार के कामकाज को लोगों ने देखा था। भाजपा के नेता कमलनाथ पर वादों से मुकरने का आरोप लगाते रहे। भाजपा नेताओं का कहना था कि कमलनाथ की सरकार ने कर्ज माफी के नाम पर लोगों को छलने का काम किया था। वहीं कांग्रेस के नेता अपने वादों पर लोगों का भरोसा जीतने में सफल नहीं हो सके। वे लोगों को यकीन नहीं दिला पाए कि जो वादे उन्होंने किए हैं, वे जरूर पूरे होंगे। 
3- नेतृत्व में नहीं जगा यकीन
कांग्रेस की प्रदेश यूनिट ओर से सूबे में कमलनाथ को चेहरा बताया गया। वहीं केंद्रीय नेता के तौर पर राहुल गांधी के चेहरे को दिखाने की कोशिश की गई। दूसरी ओर भाजपा ने अपना सीएम चेहरा नहीं घोषित किया था। भाजपा ने पूरा चुनाव मोदी के चेहरे पर लड़ा। मोदी के व्यक्तित्व ने लोगों को प्रभावित किया। मोदी के मुकाबले राहुल की छवि कारगर नहीं साबित हो पाई। शिवराज के पीछे भाजपा की पूरी फौज नजर आई। केंद्र पीछे खड़ा नजर आया तो दूसरी ओर कमलनाथ अपने बलबूते जूझते नजर आए।     
4- कांग्रेस का कमजोर अभियान
सूबे में कांग्रेस का अभियान फीका नजर आया। चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि जमीन पर कांग्रेस का अभियान लोगों को प्रभावित नहीं कर पाया। कांग्रेस सोशल मीडिया पर फोकस करती नजर आई। जमीनी स्तर पर कांग्रेस मतदाताओं से संपर्क करने में सफल नहीं हो पाई। पार्टी को सीधे मतदाताओं तक पहुंचना था लेकिन वह उम्मीदवारों पर निर्भर रही। केंद्रीय नेतृत्व ने भी पूरे अभियान को कमलनाथ के भरोसे ही छोड़े रखा। दूसरी ओर भाजपा का कैडर चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले जमीन पर काम कर रहा था।  
5- ले डूबे बयानबाजी
सूबे में कांग्रेस नेताओं की बायानों ने भी लोगों पर गलत प्रभाव डाला। मध्य प्रदेश में कमलनाथ समेत कांग्रेस के दिग्गज नेता खुलेआम मंचों से अधिकारियों को चेतावनियां देते नजर आए। यही नहीं कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने भी बेतुके बयान दिए जिनका चुनावों से कोई लेना देना ही नहीं था। इन बयानों का कोई तुक नहीं था। राहुल गांधी का पनौती वाला बयान खूब वायरल हुआ। दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान- मोदी झूठों के सरदार भी चर्चा में रहा। वहीं इन बयानों का जिक्र कर भाजपा नेता लोगों की सहानुभूति हासिल करने और कांग्रेस नेताओं को अहंकारी करार देने में जुटे रहे। 
साभार लाइव हिन्दुस्तान

Latest News

Everyday news at your fingertips Try Ranjeet Times E-Paper