इंदौर में निकलने वाले ग्रीन वेस्ट के निपटान के लिए 100 टन क्षमता का प्लांट लगेगा

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इंदौर । शहर में निकलने वाले ग्रीन वेस्ट के निपटान को लेकर 100 टन क्षमता का प्लांट लगाया जाना है। इसको लेकर नगर निगम ने ठेकेदार एजेंसी तय करने के साथ बिचौली हप्सी स्थित सिटी फॉरेस्ट में जमीन दे दी है। प्लांट लगने के बाद जहां 100 टन लकड़ी का निपटान होगा, वहीं निगम को साढ़े 3 रुपए किलो के हिसाब से रॉयल्टी मिलेगी।
ग्रीन वेस्ट के निपटान को लेकर निगम के पास कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। अभी बरसात के दौरान गिरने वाले पेड़, बिजली मेंटेनेंस के लिए सड़क किनारे छंटने कटने वाले पेड़ों की छोटी-बड़ी शाखाएं, विकास कार्य में बाधित कटने वाले पेड़ और आमजन के घरों के बाहर पेड़ों की कटाई-छंटाई के दौरान निकलने वाला ग्रीन वेस्ट का सही ढंग से निपटान नहीं होता है। इस कारण पेड़ों की कटाई-छंटाई के बाद डालियां और पत्ते कई-कई दिनों तक सड़क किनारे ही पड़े पड़े सड़ते रहते हैं, जिसे उठाकर ट्रेंचिंग ग्राउंड फेंक दिया जाता है।
यह देखते हुए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पब्लिक, प्राइवेट और पार्टशिप मॉडल (पीपीटी) पर एक प्लांट लगाने का फैसला लिया। इस पर अमल करते हुए उन्होंने 9 जून 2023 को हुई मेयर-इन- कौसिल (एमआइसी) की बैठक में ग्रीन वेस्ट के निपटान को लेकर 100 टन क्षमता का प्लांट लगाने का प्रस्ताव स्वच्छ भारत मिशन के तहत रखवाया। एमआइसी में ग्रीन वेस्ट निपटान को लेकर प्लांट लगाने का प्रस्ताव पारित होने के बाद जुलाई 2023 में ग्रीन वेस्ट निपटान प्लांट लगाने को लेकर टेंडर जारी किए गए।
टेंडर आने के बाद मंजूरी के लिए प्रस्ताव एमआइसी में रखा गया। विधानसभा चुनाव को लेकर 9 अक्टूबर को आचार संहिता लगने से पहले हुई एमआइसी में ग्रीन वेस्ट प्लांट लगाने को लेकर ठेकेदार एजेंसी तय कर दी गई, मगर एमआइसी में पारित इस संकल्प को जारी नहीं किया गया और आचार संहिता लगने से प्लांट लगाने का काम अटक गया। आचार संहिता हटने के बाद निगम के अफसरों ने प्रस्ताव निकाला और तीन-चार दिन पहले ग्रीन वेस्ट निपटान को लेकर प्लांट लगाने के लिए तय की गई ठेकेदार एजेंसी को बिचौली हप्सी स्थित सिटी फॉरेस्ट में जमीन दे दी है। इसके साथ ही प्लांट लगाने की तैयारी भी हो गई है।
 निगम अफसरों का कहना है कि एमआइसी से संकल्प पारित होते ही ग्रीन वेस्ट प्लांट लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई। ग्रीन वेस्ट से बायोमास बनाने की प्रणाली पर आधारित मशीनरी स्थापित की जाएगी। बरसात में गिरने वाले पेड़, विकास कार्य में बाधित कटने वाले पेड़, बिजली मेंटेनेस के लिए सरकारी बगीचों व रोड किनारे लगे और घरों के बाहर के पेड़ों की कटाई- छंटाई के बाद निकलने वाले ग्रीन वेस्ट का निपटान इस प्लांट पर आसानी से होगा। साथ ही निगम को फायदा होगा, क्योंकि शहर से निकलने वाले ग्रीन वेस्ट का निपटान हो जाएगा और लकड़ी की साढ़े 3 रुपए किलो रॉयल्टी मिलेगी।

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