बामंदी के घरों में सम्पन्न हुआ एक कुंडीय गायत्री यज्ञ
जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में गायत्री परिजनों ने किया पौधारोपण . अभियान के तहत चेतना केंद्र के हर गांव में प्रत्येक रविवार को होगा आयोजन .
शिवकुमार राठौड़ कसरावद
कसरावद। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पर्यावरण शुद्धि , मानसिक शुद्धि और आध्यात्मिक वृद्धि हेतु ग्राम बांमदी में रविवार को 20 घरों में एक जैसी कुंडिय गायत्री महायज्ञ उपाचार्य भाई बहनों के द्वारा संपन्न किया गया।
गायत्री परिजनो ने बताया कि सुबह आठ बजे ग्रामीणों और गायत्री परिजनों ने गांव में प्रभात फेरी के माध्यम से लोगो को जाग्रत किया । उसके बाद अलग-अलग घरों में जाकर उपाचार्य भाई बहनों ने ग्रामीण परिवारो के साथ एक कुंडीय यज्ञ किया गया। आहुति डालने में भाव यह किया गया कि वातावरण शुद्ध हो सबको सद्बुद्धि मिले सदज्ञान मिले और ग्राम ,समाज ,देश ,राष्ट्र और समस्त - समस्त विश्व का कल्याण हो। इस हेतु गायत्री महामंत्र और महामृत्युंजय मंत्र से आहुतियां प्रदान की गई। यज्ञ के माध्यम से वातावरण परिशोधन हेतु पूर्णाहुति में संकल्प दिया गया कि हम पर्यावरण रक्षा हेतु वृक्षारोपण ,स्वच्छता अभियान ,प्रदूषण मुक्त समाज ,नशा मुक्त राष्ट्र बनाने हेतु सतत प्रयास करेंगे। कार्यक्रम में गांव के कई परिवारों ने भागीदारी की, अंत में सभी गायत्री परिजनों ने समय दान और अंशदान के लिए लोगों को प्रेरित किया । ततपश्चात गायत्री परिजनों ने किसान परिवारो के साथ खेतो में जाकर त्रिवेणी का पौधा लगवाया। और उस पौधे देखभाल कर बड़ा करने का संकल्प दिलाया। इस दौरान रोहित पटेल, सतीश पटेल, प्रकाश पटेल, संतोष पटेल और अन्य गायत्री परिजन साथ रहे।
गायत्री परिजन रवि पटेल रूपखेड़ा ने बताया कि माताजी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत चेतना केंद्र सोनखेड़ी के अंतर्गत आने वाले गाँवो के घरों में प्रत्येक रविवार को एक कुंडीय यज्ञ व पौधरोपण किया जाना है। इसका शुभारंभ बामंदी गांव से किया गया। यहां करीब 20 घरों में यज्ञ सम्पन्न कराया गया। उन्होंने बताया कि दुनिया बदल रही है। युग परिवर्तन की इस बेला में लोगों के पास साधन मौजूद हैं, लेकिन साधना की कमी है। इसी कारण ज्ञान, धन और शक्ति मिलकर भी सुख-शांति और सुविधा प्रदान नहीं कर पा रहे हैं। आसुरी शक्ति के विनाश, सुख-शांति और संतुष्टि के लिए गायत्री और यज्ञमय जीवन की आवश्यकता है। वेदमाता, देवमाता और विश्वमाता गायत्री की आराधना ही त्याग, परोपकार, संगठन और दिव्य जीवन की प्रेरणा स्रोत हैं। विश्व की सुख-शांति के लिए यज्ञ का आयोजन आवश्यक है।
गायत्री परिजन लक्ष्मण पटेल ने बताया कि वैदिक मंत्रोचार के साथ यज्ञ में समर्पित आहुतियों से मन तो शुद्ध होता है साथ ही इसके धुम्र से आसपास के पर्यावरण का भी शोध होता है। इस यज्ञ के माध्यम से लोगों में संस्कार एवं आध्यात्मिक विकास को जगाकर यज्ञ के महत्व के बारे में बताया जा रहा है। यज्ञ का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र को सशक्त एवं शक्तिशाली बनाना, आध्यात्मिक नवजागरण से सूक्ष्म जगत का शोधन, विश्व में शांति स्थापित करना एवं भारत को विश्वपटल पर पुन: जगद्गुरु के रूप में स्थापित करना है।