कड़वा सत्य : राजा रघुवंशी मर्डर केस पर समाज का मौन क्यों?

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राजेश धाकड़
मेघालय, शिलांग में इंदौर निवासी राजा रघुवंशी की हत्या — जिसे ‘हनीमून मर्डर केस’ कहा जा रहा है — आज भी हमारे समाज के पाखंडी रवैये को उजागर करता है।
जब इस हत्या की परतें खुलीं और सच्चाई सामने आई, तब न कोई कैंडल मार्च हुआ, न सोशल मीडिया पर इंसाफ की मुहिम, न ही नेताओं ने बयान दिए। क्यों? क्योंकि मरने वाला एक लड़का था।
कल्पना कीजिए, यदि राजा की जगह कोई सोनम रघुवंशी होती और राजा ने उसका कत्ल किया होता — तो पूरा शहर, शायद पूरा देश सड़कों पर उतर आता। महिला संगठनों से लेकर राजनीतिक दल तक ‘इंसाफ दो’ की आवाज़ बुलंद कर रहे होते, मोमबत्तियाँ जलतीं, आरोपियों के मकान तोड़े जाते और फांसी की मांग होती।
लेकिन जब पीड़ित एक बेटा है — राजा रघुवंशी — तब न समाज जागा, न शासन।
क्या राजा किसी का बेटा नहीं था?
क्या राजा किसी का भाई नहीं था?
क्या उसे इंसाफ नहीं मिलना चाहिए?
अब जब हत्याकांड की सच्चाई सामने है, तो मैं सरकार और विशेष रूप से मुख्यमंत्री माननीय डॉ. मोहन यादव से आग्रह करता हूँ:
 राजा रघुवंशी के हत्यारों — सोनम रघुवंशी, राज कुशवाहा, विशाल, आकाश राजपूत और अन्य — को सख़्त से सख़्त सज़ा दी जाए,
 और इनके घरों पर बुलडोजर कार्यवाही की जाए।
सरकार से एक और निवेदन:
बेटियाँ बहुत बचा लीं, अब बेटों को भी बचाइए।
हर जीवन की कीमत बराबर हो — चाहे वो बेटी का हो या बेटे का।

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