Category : Dharm

व्यवहार में संतुलन और असंतुलन को‌ समझने की कला है सहज योग

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अपने दैनिक जीवन को जीते हुये हम लगातार अपने आसपास के  परिवेश व विपरित परिस्थितियों के वशीभूत हो कई अलग-अलग स्तरों पर प्रभावित होते रहते हैं- भावनात्मक रूप से, मानसिक रूप से और  कुछ मामलों में शारीरिक ...

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हृदय में भगवती शक्ति की स्थापना के बिना आत्मसाक्षात्कार संभव नहीं

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आत्मतत्व जाना नहीं, कोटिक किये जुज्ञान ll तारे तिमिर न भागही, जब लगे उगे न भाल ll कबीर दास जी आत्मसाक्षात्कारी संत थे। उपरोक्त वर्णित दोहे में वे कहते हैं। प्रकांड पंडित करोड़ों प्रकार के ज्ञान की बात...

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