मध्यप्रदेश और राजस्थान में ऐतिहासिक समझौता, 72 हजार करोड़ रुपये की पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना पर मुहर

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भोपाल। मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकारों ने रविवार को एक ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत किए। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के उनके समकक्ष मोहन यादव की मौजूदगी में भोपाल में 72 हजार करोड़ रुपये की पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के लिए समझौते पर मुहर लगी। इस लिंक परियोजना का मकसद पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों, मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराना है। 
परियोजना से दोनों राज्यों में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस परियोजना से चंबल बेसिन के जल संसाधनों का किफायती उपयोग में मदद मिलेगी। एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए इन नदियों के पानी का उपयोग करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इस समझौते से एमपी के मुरैना, ग्वालियर, श्योपुर और राजगढ़ समेत 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हो सकेगा। 
सीएम मोहन यादव ने कहा कि यह 72 हजार करोड़ रुपये की परियोजना है। आज मध्य प्रदेश के लिए ऐतिहासिक दिन है। राज्यों के हित होते हैं, लेकिन देश हित से बड़ा कोई हित नहीं हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की मूल भावना यही है कि राज्य अपनी समस्याओं का हल निकालें। खासतौर पर जल के बंटवारे के मामलों को सुलझाएं। यह समझौता पीएम मोदी की भावना के अनुरूप हुआ है। दोनों राज्यों के बीच पर्यटन के क्षेत्र में भी विकास की बड़ी संभावनाएं हैं। चंबल, श्योपुर और रणथंभोर में पर्यटन की संभावना अधिक है।
सीएम मोहन यादव ने कहा कि इस परियोजना के पूरा होने से दोनों ही राज्यों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। खनिज सम्पदा के लिए भी हम एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे। आयुष्मान भारत योजना में भी एक दूसरे का सहयोग करेंगे। वन्य जीवों की सुरक्षा दोनों राज्य मिलकर करेंगे। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि हमारी साझा नीति दोनों प्रदेशों को आगे बढ़ाने की है। इस परियोजना के पूरा होने से दोनों प्रदेशों की उन्नति होगी। राज्य और केंद्र मिलकर इस परियोजना को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। 
राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच हुए समझौतों में पर्यटन क्षेत्रों का संयुक्त विकास, श्री कृष्ण पाथेय कृष्ण गमन पथ निर्माण, खाटू-श्याम जी, नाथद्वारा, उज्जैन, ओंकारेश्वर के मध्य वन्दे भारत ट्रेन/ इलेक्ट्रिक बस का संचालन शामिल हैं। कूनो से लगे राजस्थान के वन क्षेत्रों को मिलाकर एक संयुक्त बड़ा राष्ट्रीय पार्क बनाया जाए। बजरी का प्रयोग बंद कर स्टोन डस्ट और एम सैंड के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी दोनों राज्य सहमत हुए हैं।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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