इंदौर - छह माह बाद भी तय नहीं कि कैसे बनेगा बीआटीएस कॉरिडोर

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इंदौर। इंदौर के सबसे व्यस्त मार्ग बीआरटीएस पर एलिवेटेड कॉरिडोर की डिजाइन विवादों में है। छह माह बाद भी तय नहीं हो पाया है कि कॉरिडोर कैसे बनेगा। केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए 350 करोड़ रुपये मंजूर कर चुकी है। मार्च में हुई समीक्षा बैठक में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया था कि तीन चौराहों पर इसकी भुजाएं भी रहेगी।
शहरवासियों के सुझाव के बाद इसमें बदलाव भी किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को लेकर प्रशासन के पास कुछ सुझाव भी आए है। फिलहाल इस प्रोजेक्ट के लिए पाइल टेस्टिंग हो रही है। मिट्टी परीक्षण इस प्रोजेक्ट के लिए किया जा चुका हैै। जनवरी में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस काॅरिडोर का भूमिपूजन किया था।
इंदौर में यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बीआरटीएस पर नौलखा से लेकर एलआईजी तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनेगा। मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। एलआईजी चौराहे से पाइल परीक्षण शुरू किया। इस परीक्षण से ब्रिज की भार वहन क्षमता का पता लगेगा। पाइल के लिए 30 फीट गहरा खोदा जा रहा है।
एलआईजी से नौलखा चौराहे के बीच 6 किमी का लंबा कॉरिडोर  बनेगा। इस पर 350 करोड रुपए खर्च होंगे। छह माह में 30 स्थान पर मिट्टी का परीक्षण किया है। अब पाइल टेस्टिंग के लिए तीन स्थानों को चुना है। अभी प्रेस काम्प्लेेक्स के सामने पाइल परीक्षण के लिए 30 फीट गड्ढा खोदने को लेकर काम शुरू हुआ है।
छह माह में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो सकता था, लेकिन अफसर इस प्रोजेक्ट मेें जल्दबाजी नहीं करना चाहते, क्योंकि इसमें बदलाव हो सकता है। विभाग ने निर्माण का ठेका भी दे दिया है, लेकिन अभी ठेकेदार कंपनी को थोड़ा इंतजार करने के लिए कहा है।
दरअसल कारिडोर बीआरटीएस लेन पर बनेगा। अहमदाबाद बीआरटीएस के बाद इंदौर का बीआरटीएस ही सफल है, लेकिन कॉरिडोर बनने के बाद बीआरटीएस कॉरिडोर  कई हिस्सों में ब्रेक हो जाएगा।
साभार अमर उजाला

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