सहजयोग द्वारा किसी भी प्रकार के व्यसन से मुक्ति पाना संभव है

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एकाग्रचित्त होकर सहजयोग ध्यान करने से मन शांत होता है और जीवन के ध्येय को पूरा करने में सहायक होता है। प्रत्येक मनुष्य सहजयोग के माध्यम से अपने जीवन का ही नहीं बल्कि अपने आसपास के समाज का उत्थान मात्र 10 मिनिट सुबह और शाम ध्यान करके कर सकता है तथा अपना जीवन सार्थक बना सकता है। यदि कोई मनुष्य किसी भी प्रकार के व्यसन से ग्रसित है तो वह भी प्रत्येक व्यसनों से सहजयोग के माध्यम से मुक्ति पा सकता है। यह सब  संभव होता है श्री माताजी के समक्ष आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति से जो कि कुंडलिनी जागरण द्वारा प्राप्त होता है। कुंडलिनी के संदर्भ में श्री माताजी ने अपनी अमृतवाणी में बताया है कि,
"पहला मूलभूत सच यह है कि हम सभी में, चाहे हम गोरे, काले, भूरे, पीले या किसी भी रंग के हों, किसी भी संप्रदाय से हों, किसी भी देश के हों, हम सब के अंदर एक ही चीज़ है, और वह है कुंडलिनी, यह शक्ति जो आपके अंदर है। यह कुंडलिनी भेद-भाव नहीं करती। केवल हम लोग ही मानसिक स्तर पर ऐसा भेद-भाव करते हैं, कि यह ऐसा है और वह वैसा है, और हमारी अलग अलग जड़ें हैं। यह हमारा मन है, जो हमें थोड़ा भटकाता है। लेकिन आप कहीं भी जाएं, कुंडलिनी आपकी माँ हैं, और यह आपकी व्यक्तिगत माँ हैं, परमात्मा की ये शक्ति आप सब के अंदर प्रतिबिंबित है।" (प.पू. श्री माताजी 15 जून 1999)
 जब मनुष्य की शुद्ध इच्छा जागृत होती है तभी परमात्मा (श्री माता जी)  की कृपा से कुण्डलिनी का जागरण होता है। कुण्डलिनी शक्ति के जागरण के पश्चात् नियमित ध्यान से साधक आर्थिक, पारिवारिक, शारिरिक अथवा व्यापारिक सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकता है और मानव से महामानव बन कर स्वयं को, अपने परिवार को व समाज को समृद्ध और शक्तिशाली बना सकता है।
सहजयोग से संबंधित  जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800 बेवसाइट‌ - sahajayoga.org.in

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