भगवान श्रीकृष्ण ने पत्रिका से चार गुना बढाकर 56 करोड का मायरा भरा था- पं. मुरारी

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झाबुआ । भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त नरसिंह मेहता से जुडी तीन दिवसीय नानीबाई का मायरा ,संगीतमय कथा का समापन मंगलवार रात्रि में हुआ। बामनिया के पटवा काम्पलेक्स में चल रही इस कथा के मुख्य यजमान मुकेश गवली ( यादव )परिवार थे। सुप्रसिद्व कथाकार एवं भजन गायक पं. अनिरूद्व मुरारी ने तीन दिवसीय तक भक्त और भगवान से जुडी इस अमर कथा का अपने मधुर स्वर से सुन्दर भजनों सहित श्रद्वालुओं को रसपान कराया। 
कथा के आरंभ दिवस में पं. मुरारी ने भगवान के परम भक्त नरसिंह मेहता के जीवन वृतांत और उनकी सुपुत्री नानीबाई से संबंधित विस्तृत कथा प्रस्तुत की। कथा के दूसरे दिन पं. मुरारी ने नानीबाई की बेटी घिग्घीबाई के जूनागढ से अंजार नगर पहुंचने का प्रसंग मधुर भजनों के साथ सुनाया। जिसमें नानीबाई की बेटी का विवाह सूरत के नगर सेठ के यहां तय हुआ। विवाह में इष्ट देवता सहित सभी को निमंत्रण भेजा। नानीबाई के पिता नरसी मेहता को भी बुलाया जबकि नरसी मेहता ने अपना सब कुछ निर्धनों में दान कर दिया था और प्रभु भक्ति में लीन रहते थे। इसी कारण नानबाई के ससुराल वाले उन्हें निर्धन मानते थे। ससुराल वालों ने मायरे की लंबी सूची भेजी जिसमें सोना , चांदी , नगदी , कपडे से लेकर विभिन्न सामग्रियां लिखी थी। नरसिंह मेहता ने यह सूची अपने प्रभु श्रीकृप्ण को दे दी और भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्त नरसिंह मेहता की लाज रखने के लिए नानीबाई के घर मायरा लेकर पहुंचे थे।
कथा के अंतिम दिन कथावाचक पं.अनिरूद्व मुरारी ने बताया कि यह कथा भक्त नरसी मेेहता के जीवन से जुडी है जिन्होंने अपनी बेटी नानीबाई की बेटी के विवाह में मायरा भरने के लिए भगवान पर भरोसा किया। लम्बी चौडी मायरे की सूची को लेकर नरसी मेहता ने भगवान श्रीकृप्ण को कहा था कि यह कार्य अब आपके ही हाथ है। और फिर भगवान राधा और रूखमणी सहित नरसिंह मेहता के साथ मायरा भरने पहुंचे। भगवान ने मायरा पत्रिका से चार गुना बढाकर 56 करोड का मायरा भर दिया। 
कथा के अंतिम दिवस भगवान श्रीकृष्ण द्वारा 56 करोड का मायरा लेकर आने का सुन्दर चित्रण किया गया। भगवान श्रीकृष्ण का नानीबाई ने अपने ससुराल में स्वागत किया और उसके बाद भगवान ने नानीबाई के ससुराल पक्ष और नगरभर के लोगों को मायरे की सामग्री भेंट की। कथा के दौरान पं.मुरारी के मधुर भजनों पर श्रद्वालु जमकर झूमे। आयोजन के समापन पर महाआरती के बाद भगवान को 56 भोग महाप्रसादी के रूप में लगाए गए। 
स्वस्तिक भोजनालय बामनिया के मुकेश गवली (यादव )परिवार द्वारा मुख्य यजमान के रूप में कथा का आयोजन करवाया। आयोजन में अशोक लोदावरा, गजानंद राठौर, अभय मूणत, आदि का प्रमुख सहयोग रहा। तीन दिवसीय आयोजन में नगर सहित समीपी ग्राम अमरगढ , नारेला , रामपुरिया, आदि विभिन्न ग्रामों के भी श्रद्वालु बडी संख्या में सम्मिलित हुए और धर्मलाभ लिया।

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