महालक्ष्मी गणेश: गणेशोत्सव के दौरान महाराष्ट्र में महालक्ष्मी पूजन की महिमा

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महाराष्ट्र में गणेशोत्सव का त्योहार बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश के आगमन का प्रतीक है और इसमें दस दिनों तक गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। गणेशोत्सव के दौरान, महाराष्ट्र के घरों और मंडलों में भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना की जाती है, जिन्हें विशेष रूप से सजाया और पूजित किया जाता है। लेकिन गणेशोत्सव के बीच में महालक्ष्मी पूजन की परंपरा महाराष्ट्र के त्योहारों की रंगीनता और धार्मिकता को और भी बढ़ा देती है।

महालक्ष्मी पूजन की परंपरा:
महालक्ष्मी पूजन का आयोजन गणेशोत्सव के चौथे या पाँचवें दिन किया जाता है। इस दिन, लोग महालक्ष्मी की मूर्तियों को अपने घरों में स्थापित करते हैं और उनकी विधिपूर्वक पूजा करते हैं। महालक्ष्मी पूजन, मुख्य रूप से महाराष्ट्रियन परिवारों में विशेष स्थान रखता है और इसे समृद्धि, सुख-शांति और धन की देवी महालक्ष्मी के स्वागत के रूप में देखा जाता है।
इस पूजा में तीन मुख्य देवी—महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली—को एक साथ स्थापित किया जाता है, जिन्हें आमतौर पर "महालक्ष्मी" के रूप में जाना जाता है। इसे 'महालक्ष्मी आवाहन' भी कहते हैं, जिसमें इन देवियों का विशेष आह्वान किया जाता है।

पूजा की विधि:
महालक्ष्मी पूजन की शुरुआत घर की साफ-सफाई और देवी की स्थापना के साथ होती है। देवी की मूर्तियों को रेशमी कपड़ों और फूलों से सजाया जाता है। पूजा में नारियल, अक्षत, फूल, फल, और खासकर कमल के फूल का उपयोग किया जाता है। पारंपरिक तौर पर, कुमकुम, हल्दी, चावल और मिठाइयों का भोग चढ़ाया जाता है।
महिलाएं रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजकर, मंगलगौर की तरह पारंपरिक गीत गाती हैं और थालियों में दीप सजाकर आरती करती हैं। पूजा के दौरान महालक्ष्मी के मंत्रों का उच्चारण और आरती की जाती है। इस अवसर पर महिलाएं "हल्दी-कुंकू" की रस्म भी करती हैं, जिसमें वे एक-दूसरे को आमंत्रित कर हल्दी, कुंकू और मिठाई प्रदान करती हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:
महालक्ष्मी पूजन का महाराष्ट्र के लोगों के जीवन में विशेष महत्व है। यह न केवल आध्यात्मिक संतुष्टि प्रदान करता है, बल्कि परिवार और समाज को एक साथ लाता है। इस अवसर पर रिश्तेदारों और दोस्तों को घर बुलाकर पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है, जिससे आपसी प्रेम और सद्भावना बढ़ती है।
महालक्ष्मी पूजन के दौरान बाज़ारों में भी विशेष रौनक देखी जाती है। पूजन सामग्री, सजावट और पारंपरिक वस्त्रों की खरीदारी जोर-शोर से की जाती है। इस तरह यह पर्व महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा बन जाता है।

उपसंहार:
महालक्ष्मी पूजन गणेशोत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो महाराष्ट्र की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे परिवार, समाज और संस्कृति को जोड़ने वाले एक सेतु के रूप में भी देखा जाता है। महालक्ष्मी पूजन के माध्यम से लोग अपने जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की कामना करते हैं और समाज में आपसी भाईचारे और मेलजोल को प्रोत्साहित करते हैं। इस प्रकार, महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के दौरान महालक्ष्मी पूजन की परंपरा इस पर्व की खूबसूरती और आध्यात्मिकता को और भी बढ़ा देती है।

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