मोदीजी द्वारा समग्र स्वच्छताअभियान ग्रामीण क्षेत्र में धरातल पर नहीं दिखाई दे रहा

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हाटपीपल्या से संजय प्रेम जोशी की रिपोर्ट

शासन के नियम अनुसार 3000 से अधिक जनसंख्या वाले ग्रामों में सार्वजनिक शौचालय बनाने का नियम है। जिला पंचायत द्वारा घोषित सूची वाले गांव में यह निर्माण आवश्यक है ।और यदि सूची में नाम नहीं है तो पांचवें वित्त आयोग की राशि से पंचायत स्वयं विवेक से सुलभ शौचालय बनाकर जनता को सुविधा प्रदान कर सकती है। लेकिन बागली जनपद क्षेत्र में आज भी ऐसे कई प्रमुख गांव है। जहां पर बड़े शहरों की लिंक रोड पास होती है। तथा बड़ी मात्रा में बसों का संचालन यहां होता है। प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में यात्री आना-जाना करते हैं। ऐसी अवस्था में इन प्रमुख स्थानों पर सुलभ शौचालय नहीं होने से महिला यात्रियों को शर्मिंदगी महसूस होती है। ग्राम पंचायत पुंजापुरा मुख्यालय पर जहां से चारों ओर रास्ते निकलते हैं जिसमें एक रास्ता काटा फोड़ सतवास खातेगांव होते हुए हरदा निकलता है। दूसरा रास्ता बागली चापड़ा होते हुए इंदौर उज्जैन देवास की ओर जाता है तीसरा प्रमुख रास्ता उदय नगर होते हुए इंदौर पहुंचता है चौथा रास्ता पिपरी होते हुए काटकूट धारा जी और अन्य गांवों तक पहुंचता है। प्रत्यक्ष दर्शीयो के अनुसार यहां पर प्रतिदिन 25 से 30 बसो का संचालन सुचारू रूप से होता है। और बड़ी मात्रा में छोटे वाहन भी इस रास्ते से गुजरते हैं। लेकिन चौराहे पर कहीं भी   सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से यात्रियों के साथ-साथ स्थानीय मेहमानों को भी परेशानी आती है। सोमवार के दिन यहां पर हाट बाजार लगता है ।जिसमें 200 से अधिक दुकानें बाहर के व्यापारियों की रहती है। 12 से 14 घंटे तक लगने वाले इस बाजार में दुकानदारों को और ग्राहकों को शौचालय के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। इस संबंध में समग्र स्वच्छता अभियान प्रभारी धीरज कानूनगो से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा समग्र स्वच्छता अभियान की सूची में यहां पर शौचालय बनाने का प्रस्ताव नहीं है ।लेकिन पांचवें वित्त आयोग की राशि से सरपंच स्वयं ठहराव प्रस्ताव जारी करते हुए उचित प्रकार का सुलभ शौचालय बनवा सकते हैं। हालांकि इसकी प्रक्रिया शुरू करवा दी गई है। पुंजापुरा वासियों ने बताया वर्ष में एक बार बड़े मेले का आयोजन भी होता है प्रति सप्ताह सोमवार को हाट बाजार भी लगता है। और शौचालय बनवाने की मांग विगत 25 वर्षों से की जा रही है। स्थान की कोई कमी नहीं है चारों ओर वन विभाग की खुली भूमि पड़ी हुई है कहीं भी पंचायत यदि चाहे तो शौचालय का निर्माण करवा सकती है।

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