वन स्टॉप सेंटर की त्वरित कार्रवाई से मां को मिला बेटा
रणजीत टाइम्स -अनिल चौधरी
पीड़िता शैलजा (परिवर्तित नाम) जनसुनवाई में इस शिकायत के साथ उपस्थित हुई कि उसके पति ने उससे झगड़ा किया तथा बच्चों को अपने पास रख लिया और उसे घर से निकाल दिया। शिकायतकर्ता की मांग थी कि बच्चा उसे वापस दिया जाए शिकायतकर्ता का कहना था कि उसने अनेक मंचों के भी चक्कर लगाए किंतु कोई सार्थक समाधान नहीं मिला। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रजनीश सिन्हा सर द्वारा आवेदिका को सुना और समझाया गया एवं उक्त शिकायत को निराकरण हेतु वन स्टॉप सेंटर, इंदौर भेजा गया।
वन स्टॉप सेंटर पर पीड़िता शैलजा का परामर्श किया गया उसके द्वारा बताया गया की परिवार में पिता शराब पीते थे तथा उनका बचपन मां और मामा जनों के सहयोग से बीता। मामा लोगों के सहयोग से ही उसका विवाह रोशन (परिवर्तित नाम) से हुआ। रोशन को नशे की बुरी लत थी। कोई भी ऐसा नशा नहीं था जिसका उपयोग उसके द्वारा नहीं किया गया हो। शादी के कुछ समय बात से ही नशे के कारण पति-पत्नी में अनबन हो जाती थी। वह किसी बैंक में फाइनेंस का काम देखता था, उसे उसकी आदत के कारण वहां से निकाल दिया गया। इसके बाद वह रेलवे में कोई अस्थाई नौकरी करने लगा किंतु वहां भी वह नहीं टिक पाया, नशे के कारण वह उधारी के चक्कर में फस गया । उधार लेने वालों से वह अपनी पत्नी की बात भी कराता था ताकि उन्हें यकीन हो जाए कि उन्हें उधार बहुत जरूरी है।
वह अपने को विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित कर अपनी पत्नी पर अनावश्यक दबाव बनाने का कार्य करता था झगड़ा बढ़ते गए बीच में कई बार मां और मामा ने समझौता भी कराया किंतु कुछ समय बाद फिर पुरानी जैसी स्थिति हो जाया करती थी। इसी झगड़े में एक दिन नाराज होकर रोशन ने बच्चों को अपने पास रखकर शैलजा को घर से निकाल दिया।
शैलजा ने अपने बच्चों को प्राप्त करने की बहुत सारे प्रयास किया किंतु वह असफल रही ।
वन स्टॉप सेंटर में सामाजिक मनोवैज्ञानिक श्रीमती नीलम सिन्हा जी द्वारा परामर्श के दौरान शैलजा की सारी बात सुनने के बाद उसके पति रोशन को भी परामर्श हेतु बुलाया गया। परामर्श में रोशन को उसके द्वारा की जा रही घटनाओं के चर्चा करते हुए उसे अनुभव कराया गया उसका यह कृत्य सही नहीं है वह अपनी पत्नी को इस प्रकार से परेशान नहीं कर सकता, इसके लिए कानूनी प्रावधान भी हैं कि यदि वह उसे परेशान करता है तो उसके विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई हो सकती है। रोशन को बात समझ में आई, उसने बच्चों को तत्काल पत्नी के हवाले कर दिया किंतु पत्नी शैलजा की मानसिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह पति के साथ जाए उसने कुछ दिन बाद मन के स्थिर हो जाने पर पति के साथ जाने के बारे में निर्णय ले पाएगी, ऐसा बताया।
पति रोशन को एहसास हुआ कि वह अपनी पत्नी के साथ बहुत ज्यादा जादती कर रहा था और अब उसके साथ कोई भी दुर्व्यवहार नहीं करेगा।
वन स्टॉप सेंटर में परामर्श के पश्चात बच्चा वापस मिलने से शैलजा बहुत खुश थी, उसने वन स्टॉप सेंटर के पूरे अमले को उसे सहयोग देने तथा त्वरित कार्रवाई करने पर बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।