ओंकारेश्वर: आध्यात्मिकता, विकास और सतत ऊर्जा का संगम
मध्यप्रदेश के पवित्र नगरी ओंकारेश्वर में हाल के वर्षों में हुए विकास कार्य न केवल धार्मिकता को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि क्षेत्र को एक नई पहचान भी दे रहे हैं। नर्मदा नदी के किनारे बसी यह नगरी अब आध्यात्मिक और पर्यावरणीय विकास के एक आदर्श उदाहरण के रूप में उभर रही है।
धार्मिक धरोहर का संरक्षण और विस्तार
ओंकारेश्वर में चल रहे विकास कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कदम मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण है। सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए प्राचीन ममलेश्वर मंदिर का नवीनीकरण और घाटों का विस्तार किया जा रहा है। नए प्रतीक्षालय और पार्किंग जैसी सुविधाएं लाखों श्रद्धालुओं के लिए अनुभव को सुखद बनाएंगी। यह केवल एक संरचना का विकास नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखने का प्रयास है।
‘एकता की मूर्ति’ से अद्वैत दर्शन का संदेश
18 सितंबर 2023 को स्थापित की गई 108 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की ‘Statue of Oneness’ न केवल एक पर्यटन आकर्षण है, बल्कि यह अद्वैत वेदांत के संदेश को पूरे विश्व में फैलाने का एक प्रयास है। इस परियोजना के साथ अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान और शंकराचार्य संग्रहालय जैसी पहलें ओंकारेश्वर को एक वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करेंगी।
पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता: फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट
ओंकारेश्वर ने पर्यावरण संरक्षण में भी एक मील का पत्थर स्थापित किया है। नर्मदा नदी पर बन रहा दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्रोजेक्ट, क्षेत्र को स्वच्छ ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बना रहा है। 600 मेगावाट क्षमता वाला यह प्रोजेक्ट न केवल ऊर्जा आपूर्ति को सुदृढ़ करेगा, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेगा।
ओंकारेश्वर: भविष्य की ओर एक कदम
ये सभी विकास कार्य ओंकारेश्वर को सिर्फ एक धार्मिक स्थल तक सीमित नहीं रखते, बल्कि इसे आधुनिक भारत के विकास का प्रतीक बनाते हैं। धार्मिकता, पर्यटन, और सतत ऊर्जा के संगम ने इस नगरी को न केवल राज्य, बल्कि देश और विदेश में भी एक नई पहचान दी है।
ओंकारेश्वर का यह विकास हमें यह संदेश देता है कि हमारी परंपराएं और आधुनिकता एक साथ चल सकती हैं। यह नगरी भविष्य में न केवल आध्यात्मिक शांति का केंद्र बनेगी, बल्कि पर्यावरण और ऊर्जा के क्षेत्र में भी दुनिया के लिए एक मिसाल प्रस्तुत करेगी।
(आपका गोपाल गावंडे)
(संपादक, रणजीत टाइम्स)