विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल मजदूरी के खात्मे का लिया संकल्प, 26 बच्चों को अब तक मिल चुकी है आज़ादी

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बाल श्रम मुक्त जिला बनाने के लिए शुरू हो राष्ट्रीय मिशन: प्रदीपन
संदीप वाईकर बैतूल
बैतूल। जिले को बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए एक संगठित और प्रभावशाली अभियान की शुरुआत हो चुकी है। बाल अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम कर रहे संगठन प्रदीपन ने विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर जिले में चलाए जा रहे बाल श्रम विरोधी अभियान की जानकारी साझा करते हुए कहा कि बीते एक वर्ष में अब तक 26 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया गया है। यह अभियान जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोग से चलाया जा रहा है, जो देशभर के 418 जिलों में कार्यरत नागरिक समाज संगठनों का सबसे बड़ा नेटवर्क है। प्रदीपन ने बाल श्रम के खात्मे के लिए केंद्र सरकार से राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन शुरू करने, उसके लिए पर्याप्त संसाधनों का आवंटन करने और बाल मजदूर पुनर्वास कोष की स्थापना की मांग की है। साथ ही, उन्होंने 18 वर्ष तक की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, खतरनाक उद्योगों की सूची में विस्तार और दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
छापामार कार्रवाई में 10 बाल मजदूर मुक्त
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर आज प्रदीपन, श्रम विभाग और जिला टास्क फोर्स की संयुक्त टीम ने जिले के पेट्रोल पंप, मोटर गैरेज, वाशिंग सेंटर और भवन निर्माण स्थलों पर छापामारी कर 10 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया। साथ ही शहर की दुकानों पर 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को काम पर नहीं रखने की सूचना बोर्ड अनिवार्य रूप से लगाने के निर्देश दिए गए। इस अभियान के तहत स्थानीय नागरिकों को जागरूक भी किया गया और बाल मजदूरी के उन्मूलन का संकल्प लिया गया।
प्रदीपन की उपलब्धियां और प्रयास
प्रदीपन की डायरेक्टर रेखा गुजरे ने बताया कि जिले में प्रशासन के सहयोग से अब तक 32 बाल मजदूरों को छुड़ाया गया है और उनके पुनर्वास की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा भारत ने बाल श्रम के खात्मे की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। जब तक पीड़ित बच्चों के लिए पुनर्वास और दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाएगा। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन 182 का हस्ताक्षरकर्ता है और बाल श्रम के खतरनाक रूपों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है और इस दिशा में बाल श्रम का उन्मूलन अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए शिक्षित, आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिकों का होना जरूरी है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका
इस अभियान में प्रदीपन के कोऑर्डिनेटर सुनील कुमार, पुनम अतुलकर, चारूलता वर्मा, अलका नागले, ज्योति बागवे, विशाल आर्य, रविशंकर चवारे और राकेश मन्नासे का अहम योगदान रहा। इन्होंने लगातार समुदायों में जाकर बच्चों को काम से छुड़ाने, परिवारों को समझाने और प्रशासन के साथ मिलकर कानूनी कार्रवाई करवाने में सहयोग किया।

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