मनरेगा मजदूरों का भुगतान नहीं होने से हैं नाराज आदिवासी समाज के लोगों ने किया प्रदर्शन

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बड़वानी। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में आदिवासियों को साथ लेकर शहर में एक रैली निकाली। संगठन के कार्यकर्ता नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए जिला पंचायत कार्यालय पहुंचे और वहां प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि बड़वानी जिले में पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है। क्योंकि, यहां के दलित आदिवासी गरीब लोग हैं और इन लोगों को पंचायत में मनरेगा योजना के तहत काम नहीं मिलता है। उन्होंने मांग की के पंचायत में मनरेगा के तहत लोगों को काम मिले और काम का रेट भी अच्छा मिले, क्योंकि उन्हें पंचायत में ठीक से मजदूरी नहीं मिलती है। जिसके चलते वे लोग गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में अपना घर छोड़ कर मजदूरी करने जाने को मजबूर हैं।
बड़वानी नगर में सोमवार को सैकड़ों आदिवासी समाज के लोगों के साथ रैली निकाल कर पहुंचे जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ता जिला पंचायत कार्यालय में धरना देकर बैठ गए। इस दौरान आदिवासी कार्यकर्ताओं में रोजगार और मजदूरी दिए जाने को लेकर खासा आक्रोश भी देखने को मिला। उनका कहना था कि सरकार मनरेगा का बजट नहीं बढ़ा रही और मजदूरी भुगतान के लिए सरकार के पास रुपए ही नहीं हैं, जबकि 3000 करोड़ की मूर्ति बनवा रहे हैं, बुलेट ट्रेन चल रहे हैं, पूंजीपतियों का कर्ज माफ कर रहे हैं। लेकिन, आदिवासी मजदूर को मजदूरी देने के लिए रुपया नहीं है। 
बड़वानी के पाटी क्षेत्र से आदिवासी मजदूरों ने पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी में मनरेगा के तहत काम किया था।  नियम अनुसार 15 दिन में मजदूरी का भुगतान हो जाना था, लेकिन उन्हें आज तक मजदूरी नहीं मिल पाई है। संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि पाटी विकासखंड में मजदूरों की साढे 4 करोड़ रुपये की मजदूरी की राशि का भुगतान अभी बाकी है। इस भुगतान के लिए पूर्व में भी संगठन ने बड़वानी में बड़ा प्रदर्शन किया था। उस समय अधिकारियों का कहना था कि तीन-चार दिन में भुगतान हो जाएगा, लेकिन आज तक भुगतान नहीं हुआ है।  
संगठन की प्रमुख माधुरी बहन ने बताया कि इस क्षेत्र में मनरेगा जैसी जनहित की योजना में भी काम नहीं होने से ठेकेदार गांव-गांव पहुंचकर 30 से 40 हजार रुपये में आदिवासी भाइयों का सौदा कर उन्हें बंधुवा मजदूरी के लिए गुजरात महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसी जगह भेज देते हैं। शासन प्रशासन को इसकी कोई खबर ही नहीं। अंतर राज्य प्रवासी मजदूर कानून के अंतर्गत मजदूरों को दूसरे राज्य में ले जा रहे ठेकेदारों का पंजीयन अनिवार्य है। लेकिन, इसका पालन नहीं हो रहा है। 
साभार अमर उजाला

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