"श्री मद भागवत कथा मे रुकमणि मंगल का कार्यक्रम समपन्न"
शिवपुरी से ऋषि गोस्वामी की रिपोर्ट
आज छटवे दिन की कथा मे कथा व्यास आचार्य पंडित श्री रामेश्वर जी महाराज (अशोकनगर वाले ) के श्री मुख से महारास का वर्णन विस्तार से किया गया है । इसमे उन्होंने कहा गोपिया चार काम छोड़ के भगवान श्री कृष्ण के पास गयी ।। इन चारो कामो मे धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष को छोड़ा । अर्थात गोपिया निष्काम भाव से भगवान के पास गई । व्यास जी ने बताया गोपी कोई स्त्री नहीं अपितु गोपी एक भाव है । गो का अर्थ - इंद्री , पी का अर्थ - पी गया अर्थात जिसने इंद्रियों को अपने वश में कर लिया । धर्म अर्थात सास ससुर की सेवा को त्यागा , अर्थ यानी गो दोहन को छोड़ा , काम अर्थात अपना अपना श्रृंगार कर रही उसे छोड़ा , मोक्ष यानी मंदिर की पूजा कर रही थी उसे छोड़कर बंसी की धुन सुनकर उपरोक्त सभी को छोड़कर महारास में सम्मिलित हुई । व्यास जी ने विरह गीत के माध्यम से गोपियों के विरह का वर्णन किया । भगवान शिव गोपेश्वर बनकर निधिवन में पधारे और रास में सम्मिलित हुए। कंस वध का प्रसंग सुनाया श्री कृष्ण 64 दिन सांदीपनि आश्रम में रहे और 64 दिन में 64 कलाएं ( विद्याए) सीखकर वापस मथुरा आए , फिर उद्धव को माध्यम बनाकर " प्रेम जगत में सार" का वर्णन किया । भगवान द्वारका पहुंचे द्वारका नगरी बसाई। कुंडलपुर में जाकर रुकमणी का विवाह संपन्न किया , विवाह का चित्रण भव्य बारत , गाजे - बाजे आतिशबाजी के साथ हनुमान मंदिर चौराहा से शुरू होकर कथा स्थल श्री गुरु गोरखनाथ मंदिर पर पहुंची । बारत का रास्ते में जगह-जगह नागरिकों द्वारा स्वागत किया । भगवान के पैर पखरइ हुई ।। कथा व्यास जी द्वारा कथा के दौरान गाए भजनों पर भक्तगण झूमते नजर आये।। बारत व भक्तों का सहभोज आयोजित हुआ और आरती के साथ कथा विश्राम हुई । कल दिनांक 12 जून 2025 को कथा का समापन होगा । कथा का समय प्रातः 9:00 से 12:00 तक रहेगा।
उल्लेखनीय है कि संकादिक लोकाचार्य श्री श्री 108 महामंडलेश्वर श्री सीताराम दास जी महाराज के सानिध्य एवं मार्गदर्शन में तथा श्री श्री 108 श्री महंत गुरु गोरखनाथ मंदिर श्री पवन दास जी महाराज के विशिष्ट तत्वाधान में कथा 6 जून से अनवरत चल रही है।। जिसमे प्रतिदिन महामंडलेश्वर एवं महंत जी द्वारा कथा व्यास व भागवत पुराण भगवान और तुलसी माता की पूजा अर्चन कर कथा का शुभारंभ किया जा रहा है। इस कथा का आयोजन श्री गुरु गोरखनाथ सेवा समिति एवं समस्त भक्तगणों के तन , मन , धन के विशेष सहयोग से आयोजित किया जा रहा हैं । जिसमे समस्त भक्तगणों के अपार उत्साह एवं उमंग से कथा को सजीव बनाया जा रहा है ।।