सहज योग संस्था ने निशुल्क ध्यान सिखा कर मनाया भव्य योग दिवस

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योग दिवस के अवसर पर इंदौर सहज योग संस्था द्वारा शहर भर में 130 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें बच्चों, बड़ों, महिलाओं और पुरुषों ने आत्म साक्षात्कार प्राप्त किया। इन्दौर सहज योग संस्था के संयोजक पुमेश बाहेती जी ने बताया कि शिक्षण संस्थानों जैसे कोचिंग, स्कूल, कॉलेज एवं व्यवसायिक संस्थानों तथा कॉलोनी और उद्यानों में जाकर लोगों को निशुल्क आत्म साक्षात्कार दिया गया एवं निर्विचार ध्यान की पद्धति का अभ्यास कराया गया जिससे जन सामान्य को सरलता से मन बुद्धि से परे आत्मा की समझ को और वेद उपनिषद प्रणीत भारतीय ध्यान योग को अभ्यास के आधार पर अनुभव कराया जा सके।

सहजयोग ध्यान की प्रणेता परम पूज्य श्री माता जी के अनुसार आत्मिक शांति की खोज करने वाला ही विश्व शांति का दाता हो सकता है। प्रागैतिहासिक काल से आज तक योग की पद्धति में नित नए आविष्कार और परिवर्तन हुए हैं, जो समस्त मानव जाति के उत्थान के लिए कार्य करते हैं। श्री माताजी निर्मला देवी ने योग और भारतीय संस्कृति के विषय पर व्यापक चर्चा की है। 

भारतीय संस्कृति का मूल आधार, जो शांति का पोषण करता है, वह योग की देन है। विश्व शांति का उद्घोषक भारत रहा है और इसे भारतीयों ने अपने भीतर खोजा था। शांति की खोज पहले भीतर हुई और फिर वह बाहर फैला। यही परंपरा भारत में योग के द्वारा स्थापित है। प्रथम शरीर, मन, बुद्धि से होते हुए आत्मा तक पहुंचकर आत्मिक शांति की खोज की जाती है और तब मनुष्य विश्व शांति की बात कर सकता है। तनाव में डूबे हुए, भीतर से आक्रोशित व्यक्ति की प्रतिक्रिया बढ़ती है और उसका उन पर नियंत्रण नहीं रह सकता। ऐसा व्यक्ति विश्व शांति की बात करने का अधिकारी नहीं है। 

शांति का दूत वही बन सकता है जो जोड़ने की बात करे, एकात्मता की बात करे। योग भारतीय संस्कृति में भीतर तक रचा-बसा है, करुणा भारतीय संस्कृति का श्रृंगार है, यह समर्पण सिखाती है और अहंकार प्रति अहंकार भावनाओं के द्वंद से लड़ना सिखाती है। इसमें माधुर्य का बड़ा महत्व है। यदि हमारा आचरण और व्यवहार मधुर और शांतिपूर्ण होगा तभी हम विश्व शांति के उद्घोषक हो सकेंगे। सहज योग बड़ी सरलता से इसे घटित करता है जिसमें श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा मानव जाति को सामूहिक आत्म साक्षात्कार देने की पद्धति अविष्कृत की गई है। 

सहज योग की छोटी-छोटी प्रार्थनाएं मानव मन को बुद्धि की प्रगल्भता से हटाकर आत्मा की ओर उन्मुख करती हैं। चित्त आत्मा में सरलता से स्थापित करने के लिए यह एक सुंदर और क्षणिक उपाय है जिससे 10 से 15 मिनट में ध्यान की क्रिया घटित हो जाती है। कम समय में अधिक पाने का आधुनिक काल में सहजयोग से सुंदर कोई और तरीका नहीं है। 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें टोल फ्री नंबर 9827666663 विजिट करें [www.sahajayoga.org.in](http://www.sahajayoga.org.in)

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