सोनिया गांधी ने जनगणना में देरी पर सरकार को घेरा
नई दिल्ली. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) को लेकर चिंता जाहिर करते हुए जनगणना का मुद्दा उठाया. सोनिया गांधी ने राज्यसभा में कहा कि एनएफएसए सितंबर 2013 में यूपीए सरकार की ओर से लाया गया था. उन्होंने कहा कि इस कानून को लाने के पीछे देश के हर नागरिक को खाद्यान्न और पोषण मिले, यह सुनिश्चित करना उद्देश्य था.
सोनिया गांधी ने कहा कि इस योजना ने देश के लाखों लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर कोरोना के मुश्किल दौर में. उन्होंने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इस योजना के लिए भी यही एक्ट आधार उपलब्ध कराता है. सोनिया गांधी ने कहा कि एनएफएस के तहत 75 फीसदी ग्रामीण और 50 फीसदी शहरी आबादी सब्सिडी के साथ अन्न प्राप्त करने के योग्य है.
उन्होंने कहा कि लाभार्थियों का कोटा अब भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर ही आधारित है जबकि इस जनगणना को एक दशक से अधिक समय बीत चुका है. सोनिया गांधी ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि हर 10 साल पर होने वाली जनगणना में चार साल से अधिक की देरी हुई है. उन्होंने कहा कि 2021 में ही जनगणना होनी थी लेकिन अब तक इसे लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है कि इसे कब तक कराया जाएगा.
राजस्थान से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने आगे कहा कि बजट आवंटन को देखें तो यह स्पष्ट है कि जनगणना इस साल भी नहीं होगी. उन्होंने जितनी जल्दी संभव हो, जनगणना कराने की मांग सरकार से की और कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि एक भी पात्र व्यक्ति एनएफएसए का लाभ पाने से वंचित न रहे. सोनिया गांधी ने कहा कि फूड सिक्योरिटी प्रिविलेज नहीं है. यह मूलभूत अधिकार है.
साभार आज तक