सुप्रीम कोर्ट ने तांती-तंतवा जाति को एससी में शामिल करने के फैसले को किया निरस्त, नीतीश को झटका
पटना। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्य सरकार को तगड़ा झटका देते हुए नौ साल पहले तांती-तंतवा जाति को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल करने के फैसले को निरस्त कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एससी लिस्ट में किसी जाति का नाम जोड़ने या हटाने का अधिकार राज्य के पास नहीं है और यह काम सिर्फ संसद कर सकती है। कोर्ट ने नीतीश सरकार के फैसले को संविधान से शरारत बताते हुए अवैध करार दिया और कहा कि एससी लिस्ट में दूसरी जाति को जोड़ने से अनूसूचित जाति के लोगों की हकमारी होती है। कोर्ट ने साफ कहा कि संविधान के आर्टिकल 341 के तहत राज्य को अनुसूचित जाति की सूची में छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तांती-तंतवा जाति वापस अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) में शामिल होगी। फैसले से एससी में शामिल जातियों के लिए दाखिला, रोजगार और प्रोमोशन में कुछ अवसर बढ़ जाएंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार के 1 जुलाई 2015 के संकल्प को रद्द करते हुए आदेश दिया है कि इन नौ सालों में तांती-तंतवा जाति के जिन लोगों को भी एससी कोटे के आरक्षण का लाभ मिला है उन्हें ईबीसी कोटा में समायोजित किया जाए और इससे खाली होने वाली सीटों और पदों को एससी जाति के लोगों से भरा जाए। डॉ भीमराव आंबेडकर विचार मंच और आशीष रजक की याचिका पर जस्टिस विक्रम नाथ और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान