मध्य प्रदेश के मोहन यादव मंत्रिमंडल के गठन का निर्णय दिल्ली में होगा

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भोपाल। मध्य प्रदेश के मोहन यादव मंत्रिमंडल के गठन का निर्णय दिल्ली में होगा। प्रदेश के नेता दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से चर्चा करने जाएंगे। इसमें अभी समय लग सकता है। हालांकि 18 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले एक छोटे मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी है। इस बीच, चर्चा है कि डॉ. यादव की कैबिनेट में सबसे ज्यादा नए और काम करने वाले युवा चेहरों को मौका दिया जाएगा। साथ ही उन पुराने मंत्रियों को भी मौका मिल सकता है, जिन्होंने पूर्ववर्ती शिवराज मंत्रिमंडल में बेहतर कामकाज किया है। हालांकि, इनकी संख्या कम ही रहेगी। कैबिनेट का स्वरूप क्या रहेगा और कौन-कौन सदस्य शामिल होंगे इसको लेकर मंथन शुरू हो गया है। हालांकि, नाम पर अंतिम मोहर दिल्ली में आलाकमान लगाएगा।
भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने संघ से जुड़े डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया है। इसी की झलक कैबिनेट में दिखने की बात कही जा रही है। चर्चा है कि संघ की तर्ज पर काम करने वाले और कार्यकर्ता के रूप में बेहतर काम करते आए नए चेहरे को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है, ताकि प्रदेश में एक नई लीडरशिप तैयार की जाए। लोकसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देने की भी चर्चा है। 
कैबिनेट में युवा चेहरों के साथ ही कुछ पुराने चेहरों को मौका देने की बात कही जा रही है। दरअसल, दो डिप्टी सीएम चयन जातिगत समीकरण के साथ ही उनके पिछले कार्यकाल के परफार्मेंस को ध्यान में रखते हुए ही किया गया। इसी तर्ज पर पिछले सरकार के मंत्रियों को भी मौका मिलेगा। इसमें जातिगत समीकरण के साथ ही क्षेत्रीय समीकरण को साधा जाएगा। गुरुवार को कई पूर्व मंत्री और विधायकों ने सीएम से मंत्रालय में मुलाकात की। 
डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद सवाल यह है कि चुनाव जीतने वाले दिग्गज नेताओं का क्या होगा? पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की विधानसभा अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी तय हो गई है। हालांकि, कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। इनके अलावा सांसद से विधायक बने राकेश सिंह, रीति पाठक और राव उदयप्रताप सिंह को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। इन सब पर केंद्रीय नेतृत्व ही निर्णय लेगा कि ये वापस केंद्र में जाएंगे या फिर मध्य प्रदेश में मोहन यादव कैबिनेट में शामिल होंगे। वहीं, चर्चा है कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को आलाकमान केंद्र में कोई बड़ी भूमिका दे सकता है। शिवराज की प्रदेश की महिलाओं में लोकप्रियता को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगा।
साभार अमर उजाला

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