भिक्षा मुक्त इंदौर बनाने का 'इनाम' - कर्ज़ और आँसू! PRAWES भुगतान के लिए सड़क पर, निगम प्रशासन कटघरे में।

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आदित्य शर्मा
इंदौर। इंदौर को भिक्षावृत्ति के अभिशाप से मुक्ति दिलाकर देश में पहला स्थान दिलाने वाली संस्था 'परम पूज्य रक्षक आदिनाथ वेलफेयर एंड एजुकेशनल सोसाइटी (PRAWES)' के सभी कर्मचारियों ने आज नगर निगम मुख्यालय पर अपने दो साल से अधिक समय से लंबित करोड़ों रुपये के भुगतान के लिए जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हाथों में तख्तियां लिए कर्मचारियों ने निगम प्रशासन की असंवेदनशीलता के खिलाफ नारे लगाए और संस्था की संस्थापक सुश्री रुपाली जैन के नेतृत्व में आयुक्त महोदय से मिलकर अन्याय और अपमान के विरुद्ध लड़ाई और अपने अधिकार की माँग लगाई।
PRAWES ने न केवल इंदौर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाया, बल्कि इस अभियान के तहत 2500 लोगों को पुनर्वासित किया, 228 से अधिक मानसिक रूप से अस्वस्थ और सड़कों पर पड़े लाचार लोगों को रेस्क्यू कर उनका उपचार कराया, सैकड़ों बिछड़े परिवारों को मिलाया, सेकड़ो भिक्षुकों को कौशल सिखाकर आत्मनिर्भर बनाने का भागीरथी प्रयास अभी भी कर रही है। इस कार्य में टीम के सदस्यों पर 72 से अधिक बार जानलेवा हमले भी हुए।
आयुक्त महोदय से मुलाकात के दौरान रुपाली जैन ने सीधे सवाल किया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 31 मार्च 2024 को समस्त राशि जारी किए जाने के बावजूद भुगतान क्यों नहीं किया गया? इस पर स्थिति तब और बिगड़ गई जब निगम के एक जिम्मेदार उपायुक्त महोदय ने आयुक्त को खुलेआम यह कहकर भ्रमित करने की कोशिश की कि संस्था ने भुगतान हेतु कुछ दस्तावेज़ ही जमा नहीं किए हैं। आयुक्त महोदय ने रूपाली जेल से कहा कि यदि आप प्रमाण दे देगी तो मैं आज ही आप का पूरा भुगतान करवा दूँगा और अधिकारियों पर कार्रवाई भी करूँगा । संस्था द्वारा तत्काल प्रमाण प्रस्तुत करने पर वे अधिकारी निरुत्तर हो गए। यह घटना निगम में व्याप्त गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और अधिकारियों द्वारा वरिष्ठों को गुमराह करने की प्रवृत्ति को उजागर करती है।
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने रुंधे गले से अपनी पीड़ा बताई। उन्होंने कहा, "हमने शहर की सेवा के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, पर बदले में हमें मिला कर्ज, अपमान और मानसिक प्रताड़ना। बाज़ार से ब्याज पर पैसा उठाकर हमने काम जारी रखा था, आज वही कर्ज हमें जीने नहीं दे रहा। बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।" सुश्री रुपाली जैन ने कहा, "यह केवल भुगतान का मुद्दा नहीं, यह ईमानदारी और विश्वास का गला घोंटने जैसा है। क्या यही इंदौर का मॉडल है, जहाँ अच्छा और प्रामाणिकता से काम करने वालों को दंडित किया जाता है?"
सुश्री जैन ने स्पष्ट किया, "हम पिछले तीन साल से लगातार पत्राचार कर रहे थे, परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई, इसलिए आज हमें सड़क पर उतरना पड़ा। हम तत्काल प्रभाव से अपने संपूर्ण बकाया भुगतान की मांग करते हैं। हम झूठे आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहते हैं। यदि निगम प्रशासन अब भी नहीं चेतता, तो हम इस लड़ाई को और तेज करेंगे और न्याय के लिए हर संभव कानूनी व लोकतांत्रिक रास्ते अपनाएंगे। हम यह भी मांग करते हैं कि गुमराह करने वाले और बेवजह भुगतान को लंबित रखने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर जांच बिठाकर कार्रवाई की जाए।
PRAWES ने इंदौर की जनता और मीडिया से अपील की है कि वे इस मुद्दे को सिर्फ एक संस्था की लड़ाई न समझें, बल्कि इसे प्रशासनिक जवाबदेही और सामाजिक सरोकारों के प्रति सम्मान की लड़ाई समझकर अपना समर्थन दें।

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