विश्व पत्रकारिता दिवस: पत्रकारिता की स्वतंत्रता का प्रतीक
— राजेश धाकड़, पत्रकार
इंदौर
हर वर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, जो वैश्विक स्तर पर पत्रकारिता की स्वतंत्रता और प्रेस की भूमिका को रेखांकित करता है। इस दिवस का उद्देश्य न केवल पत्रकारों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में उनकी भूमिका को भी स्वीकार करना है।
समाज में पत्रकारिता की भूमिका
पत्रकारिता समाज का चौथा स्तंभ मानी जाती है। यह लोगों तक सत्य, निष्पक्ष और समय पर जानकारी पहुँचाने का कार्य करती है। पत्रकार आम जनता और सत्ता के बीच सेतु का कार्य करते हैं, जो नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाते हैं। पत्रकारिता के बिना एक सशक्त लोकतंत्र की कल्पना अधूरी है।
मौजूदा चुनौतियाँ
हाल के वर्षों में पत्रकारिता कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। फेक न्यूज, सेंसरशिप, सत्ता का दखल, और पत्रकारों पर हमलों की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। भारत समेत दुनिया भर में ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं, जहाँ पत्रकारों की स्वतंत्रता को खतरा पहुँचा है। यह स्थिति न केवल प्रेस की स्वतंत्रता बल्कि लोकतंत्र के लिए भी चिंता का विषय है।
भविष्य की दिशा
डिजिटल युग में पत्रकारिता के स्वरूप में बदलाव आया है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया और मोबाइल पत्रकारिता ने नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। हालांकि, इसके साथ ही डिजिटल माध्यमों में गलत सूचना और ट्रोलिंग जैसी नई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। ऐसे में पत्रकारों को तकनीकी दक्षता के साथ-साथ नैतिक पत्रकारिता के मानकों को भी बनाए रखना होगा।
निष्कर्ष
विश्व प्रेस दिवस हमें यह याद दिलाता है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता लोकतंत्र की रीढ़ है। समाज को पत्रकारों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। प्रेस की स्वतंत्रता केवल पत्रकारों के लिए नहीं, बल्कि हर नागरिक के सूचना के अधिकार से जुड़ी हुई है।