योग ने रची है भारतीय संस्कृति : परम पूज्य श्री माता जी
प्रागैतिहासिक काल से आज तक योग की पद्धति में नित नए आविष्कार नए परिवर्तन और समस्त मानव जाति के उत्थान के लिए कार्य हुआ है परंतु योग का हमारी भारतीय संस्कृति से क्या 'संबंध है,सहजयोग की फाउंडर श्री माताजी निर्मला देवी जी ने योग और भारतीय संस्कृति के विषय पर व्यापक चर्चा की है। अगर यह जानना चाहे तो पाते हैं कि भारतीय संस्कृति का मूल आधार जो शांति का पोषण करता है वह योग की देन है कारण की जिस विश्व शांति का उद्घोषक भारत रहा है उसे भारतीयों ने बाहर नहीं अपने भीतर खोजा था। शांति की खोज पहले भीतर हुई और फिर वह बाहर फैला। यही परंपरा भारत में योग के द्वारा स्थापित है। प्रथम शरीर, मन, बुद्धि से होते हुए आत्मा तक पहुंचकर आत्मिक शांति की खोज की जाती है और तब मनुष्य विश्व शांति की बात कर सकता है। आक्रोशित आवेशित व्यक्ति की प्रतिक्रिया बढ़ती है। उसका उन पर नियंत्रण नहीं रह सकता। ऐसा व्यक्ति विश्व शांति की बात करने का अधिकारी ही नहीं है। शांति का दूत वही बन सकता है जो जोड़ने की बात करे, एकात्मता की बात करे। इस प्रकार योग भारतीय संस्कृति में भीतर तक रचता बसता है, करुणा भारतीय संस्कृति का श्रृंगार है, यह समर्पण सिखाती है, यह अहंकार प्रति अहंकार भावनाओं के द्वंद से लड़ना सिखाती है इसमें माधुर्य का बड़ा महत्व है। यही आचरण की बात आती है कि यदि हमारा आचरण और व्यवहार मधुर और शांतिपूर्ण होगा तभी हम विश्वशांति के उद्घोषक हो सकेंगे ज्ञान को पाकर मस्तिष्क अहंकारी हो जाता है, प्रगल्भ मस्तिष्क बाहरी खोज के कारण अहंकार से भर जाता है। इसी मस्तिष्क की प्रगल्भता को, मस्तिष्क की गहनता को यदि बाहर से भीतर की ओर उन्मुख कर दें तो यह योग के आत्म साक्षात्कार की जीवंत घटना को प्रकट करती है। इसे ही सहज योग बड़ी सरलता से घटित करता है जिसमें श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा मानव जाति को सामूहिक आत्म साक्षात्कार देने की पद्धति अविष्कृत की गई है। सहज योग छोटी-छोटी प्रार्थना उसे मानव मन को बुद्धि की प्रगल्भता से हटाकर करून ने और मधुर बनाकर आत्मा की ओर उन्मुख कर देता है चित्र आत्मा में सरलता से स्थापित करने के लिए यह एक सुंदर और क्षणिक उपाय है जिससे 10 से 15 मिनट में ध्यान की क्रिया घटित हो जाती है। कम समय में अधिक पाने का आधुनिक काल में सहजयोग से सुंदर कोई और तरीका नहीं है। अधिक जानकारी के लिए विजिट करें www.sahajayoga.org.in.