Category : Dharm

स्वयं का परिष्कार ही सहजयोग ध्यान है

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तपस्या भी मानसिक, वाचिक और कर्म आधारित है। मन को सभी इंद्रियों व उनके सुख में जाने से रोकना मानसिक तप है। व्यर्थ नहीं बोलना और मौन रखना वाचिक तप है। किसी इच्छापूर्ति या पाने की आकांक्षा हेतु व्रत रखना...

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ईस्टर विशेष : आत्मतत्व अजर अमर है श्री कृष्ण वर्णित इसी सत्य को प्रमाणित करता है येशु का पुनर्जन्म

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नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः । न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥ 'भगवद्गीता'  परमपूज्य श्री माताजी प्रणित सहजयोग हमें अपने सूक्ष्म शरीर में स्थित सभी अवतरणों की न केवल पहचान कराता ह...

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