श्रावण के पहले सोमवार पर शिवालयों में उमडी भीड़
झाबुआ : राजेश सोनी
पवित्र श्रावण मास के पहले श्रावण सोमवार को जिले भर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड बनी रही । प्रातःकाल तडके से शिवालयों में हर हर महादेव और बोल बम के जयकारों के साथ भक्तों की कतारें देखी गई । श्रावण में शिव पूजा का विशेष महत्व होता है इसलिए भक्तों द्वारा भगवान शिव के मंदिरों में जल, दूध ,बेलपत्र ,पंचामृत ,आदि विभिन्न तरीकों से शिवपूजा कर अपनी मनोकामना मांगी ।
शिव मंदिरो पर सुबह 5 बजे से भक्तों की आवाजाही आरंभ हो गई जो दिनभर बनी रही ।
जिले के झाबुआ मेघनगर थांदला पेटलावद सहित विभिन्न ग्रामों के शिवमंदिरों में भी भक्तों ने भगवान शिव की विशेष पूजा की ।
ये है मान्यता-
भारतीय हिन्दू कैलेंडर के श्रावण मास की शुरुआत हो चुकी है, जिसे सावन के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने में शिव भगवान की पूजा विशेष रूप से की जाती है, जिसमें श्रावण सोमवार की विशेषता भी होती है। भक्त सुबह से शिव मंदिर पहुंचकर भोले की भक्ति में डूब गए हैं। दूध, दही, शहद, घी, जल, बेलपत्र, फूल अर्पित कर भगवान भोले को हर कोई प्रसन्न करने में लगा है।
सावन में होती है भगवान शिव की साधना
भगवान भोलेनाथ प्रकृति के देवता माने जाते हैं, इसलिए सावन माह में प्रकृति की पूजा के रूप में महादेव की पूजा की जाती है। प्रकृति से हमें जीवन, और जीवन जीने के साधन मिलते हैं। सनातन परंपरा में प्रकृति पूजा को सर्वाेच्च बताया गया है, इसलिए सावन के महीने में प्रकृति के देवता भगवान शिव की पूजा होती है।
सावन की पौराणिक कथा
सावन, जिसको भगवान शिव के भक्त बिल्कुल एक त्यौहार की तरह मनाते हैं। साथ ही सावन को विशेष महत्व देने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। सुबह छह बजे से शिवालयों में बम-बम भोले, हर-हर महादेव के जयकारे सुनाई देने लगे हैं। सोमवार का दिन चन्द्र ग्रह का दिन होता है और चन्द्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं। इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है। मां पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था। विवाह में आ रही अड़चन और संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत उत्तम माना गया है।
समुंद्र मंथन
समुंद्र मंथन एक बहुत व्यापक कथा है जिसमें देवतओं व असुरों के बीच समुंद्र मंथन हुआ और देवताओं को विष की लहरों से बचाने के लिए भगवान शिव ने विष पिया था। यह समुंद्र मंथन श्रावण के सोमवार को हुआ था, तभी से इस दिन को एक अलग ही महत्व दिया जाता है।
शिव और सती का विवाह
भगवान भोलेनाथ व माता सती की शादी भी श्रावण के सोमवार को ही हुई थी। उनकी शादी को उनके अनंत सत्यप्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सावन के सोमवार को महादेव व पार्वती के विवाह के रुप में मान्यता दी जाती है।
सावन में शिव पूजा
कहा जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना बहुत आसान है। वे बहुत ही आसान पूजा से अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। सावन माह में भगवान भोले को प्रसन्न करने के लिए सुबह सबसे पहले स्नान ध्यान करें, साफ कपड़े पहने। भगवान शिव को समर्पित वैदिक मंत्रों का जाप कर शिव आराधना करें। देसी घी का दीया जलाए और ओम नमरू शिवाय का जाप करें। इस दिन कई लोग शिव चालीसा का पाठ भी करते हैं। मंदिर में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जल, दूध, दही ,घी, शक्कर, धतूरा और कनेर के फूल चढ़ाए जाते हैं। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस दिन कई लोग रुद्राभिषेक भी कराते हैं, जिससे भगवान भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना पूरी करने के साथ ही मनवांछित फल भी देते हैं।