मानव द्वारा पर्यावरण के साथ खिलवाड़: गंभीर संकट का संकेत
राजेश धाकड़
पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है, और इसका संरक्षण हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। लेकिन हाल के वर्षों में मानव गतिविधियों के कारण पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँच रहा है, जो एक बड़ा संकट बनकर उभरा है।
औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इससे न केवल प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरें उत्पन्न हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त, वनस्पतियों और वृक्षों की अन्धाधुंध कटाई से जैव विविधता में भारी कमी आई है और मिट्टी का क्षरण हो रहा है, जिससे कृषि भूमि की उत्पादकता भी घट रही है।
रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी और जल स्रोतों का प्रदूषण हो रहा है, जिसके कारण पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि, वर्षा के पैटर्न में बदलाव और चरम मौसम की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जो जीवन के लिए खतरे का कारण बन रही हैं।
इसके अतिरिक्त, जैव विविधता की हानि के कारण कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। पर्यावरण प्रदूषण का असर मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति में सुधार लाने के लिए हमें वनस्पतिवृक्षों का संरक्षण करना और नए वृक्षों का रोपण करना अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही, प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उद्योगों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषकों पर सख्त नियम लागू करने होंगे। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय जैविक खेती को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण कदम होगा।
इस संकट से निपटने के लिए सभी को मिलकर जिम्मेदारी लेनी होगी, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण छोड़ सकें।