ISRO की 2024 में धमाकेदार शुरुआत, XPoSat लॉन्च, खोलेगा ब्लैक होल के राज

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नई दिल्ली। ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 2024 की धमाकेदार शुरुआत कर दी है। स्पेस एजेंसी ने पहले ही दिन सोमवार को एक्स-रे पोलरीमीटर सैटेलाइट (XPoSat) सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। ऐतिहासिक चंद्रयान-3 की तरह इस लॉन्चिंग का गवाह भी आंध्र प्रदेश का श्रीहरिकोटा बना। ब्लैक होल्स की स्टडी के मामले में यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का दूसरा देश बन गया है।
XPoSat अंतरिक्ष की यात्रा कर ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के रहस्यों से पर्दा उठाएगा। अक्टूबर में गगनयान परीक्षण यान 'डी1 मिशन' की सफलता के बाद यह प्रक्षेपण किया जा रहा है। इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच वर्ष का होगा। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी58 रॉकेट अपने 60वें अभियान पर प्रमुख पेलोड 'एक्सपोसैट' और 10 अन्य उपग्रह लेकर जाएगा जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, 'सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं। 1 जनवरी 2024 को PSLV का एक और मिशन सफल हो गया है...।' मिशन डायरेक्टर डॉक्टर जयकुमार एम ने कहा, 'XPoSat एक स्पेस ऑब्जर्वेटरी है...। सोलर इर्रेडिएंस और यूपी इंडेक्स की तुलना के लिए यह पूरी तरह से महिलाओं की तरफ से तैयार सैटेलाइट है। यह विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण को दिखाता है...।'
जानकारों का कहना है कि XPoSat की लॉन्चिंग इस बात के साफ संकेत हैं कि भारत ऐसे मिशनों का शुरुआत के लिए तैयार है, जिनके बारे में जानकारियां ज्यादा उपलब्ध नहीं हैं। कहा जा रहा है यह मिशन अंतरिक्ष में खोज के भारत के प्रयासों, शोध और विकास को बढ़ाने के लिए बड़ा मंच प्रदान करेगा।
XpoSat एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और 'ब्लैक होल' की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। ISRO के अलावा US की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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