नदी को 'मां' कहना कृपया बंद कर दें... कोई भी समाज अपनी मां पर कचरा नहीं फैंकता
प्रतिवर्ष सितंबर महीने के चौथे रविवार को सारी दुनिया के साठ देश 'नदी दिवस' मनाते हैं। इस दिन सब भारतीयों से हाथ जोड़कर निवेदन है कि अपने आसपास की नदी को 'मां' कहना कृपया बंद कर दें क्योंकि दुनिया भर में कोई भी समाज अपनी मां पर कचरा नहीं फैंकता है। हम जान-बूझकर फैंकते हैं।
अकेली गंगा में ही हम प्रतिदिन एक अरब गैलन गंदगी डालते हैं। यमुना आज भी देश की सर्वाधिक प्रदूषित नदी है।नर्मदा में हम प्रतिदिन कुल मिलाकर 150 हजार गैलन कचरा फैंकते हैं।इसमें सर्वाधिक कचरा तो अकेला जबलपुर शहर फैंकता है।
नर्मदा पर अध्ययन करने वाले लोग कह चुके हैं कि इसकी सारी सहायक नदियां मर रही हैं।इसके कारण नर्मदा का अस्तित्व आज नहीं तो कल खतरे में पड़ना ही है।कितना ही दिल समझा लें,लेकिन भारत की लगभग किसी भी नदी का पानी पीने लायक नहीं बचा है। ये चित्र गंगा,यमुना व नर्मदा के हैं।

