देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था की साधारण सभा का आयोजन रवींद्र नाट्यगृह में हुआ
पूर्व अध्यक्ष की वरीयता सूची खारिज अब आडिट कर बनेगी पात्रों की सूची
कसावट देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था की साधारण सभा में हुआ निर्णय
ब्यूरो चीफ अनिल चौधरी
लंबे समय से विवादों में घिरी देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था की वार्षिक साधारण सभा बुधवार को रवीन्द्र नाट्यगृह में आयोजित की गई। सभा में संस्था के निष्कासित पूर्व अध्यक्ष विमल अजमेरा द्वारा तैयार की गई श्रीमहालक्ष्मी नगर और अयोध्यापुरी कालोनी की वरीयता सूची को खारिज कर दिया गया। इसके साथ ही सहकारिता विभाग द्वारा तैयार की गई सूची को पारदर्शिता के साथ तैयार किया जाएगा। संस्था का आडिट कराकर पात्र सदस्यों की सूची बनाई जाएगी। वहीं संस्था की जमीन से कब्जे हटाकर पात्र सदस्यों को प्लाट दिलाए जाएंगे।
सहकारिता विभाग ने 22 सितंबर को विमल अजमेरा को विभिन्न गड़बड़ियों और आडिट न कराने के चलते संस्था से निष्कासित कर दिया था। संस्था की वरीयता सूची को समय पर फाइनल नहीं किया और बाद में जब सूची बनाई तो उसमें भी गंभीर अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं। साधारण सभा में बुधवार को अजमेरा की जगह वरिष्ठ उपाध्यक्ष पंकज जायसवाल ने अध्यक्षता संभाली। उन्होंने अजमेरा द्वारा प्रकाशित सूची को नियमविरुद्ध वताते हुए निरस्त करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदस्यों ने स्वीकृत कर दिया। जायसवाल ने कहा कि सहकारिता विभाग के नियमों के अनुसार दावे-आपत्ति दर्ज कराने के लिए 60 दिन का समय अनिवार्य है, जबकि अजमेरा ने यह अवसर नहीं दिया। अब सभी सदस्यों को पूरा समय देकर नई सूची तैयार की जाएगी।पूर्व अध्यक्ष पर लगाए आरोप सभा में उपाध्यक्ष पंकज जायसवाल ने खुलासा किया कि विमल अजमेरा और मनोज काला ने सदस्यों के साथ धोखाधड़ी की। यहां तक कि दिवंगत संचालक सदस्य श्याम सोनी के बेटे मोहित से भी प्लॉट दिलाने के नाम पर पांच लाख रुपए की मांग की गई। इस पूरे प्रकरण की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मौजूद है।
एफआइआर दर्ज कराने का प्रस्ताव : सभा में सदस्यों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि पूर्व अध्यक्ष विमल अजमेरा और मनोज काला के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। आरोप है कि देनों ने संस्था के खाते से आईडीए में दूसरी संस्थाओं के पैसे जमा कराए। सहकारिता विभाग की जांच में भी देनों को देषी पाया गया है।आम सभा को अमान्य करने की कोशिश: उपाध्यक्ष पंकज जायसवाल ने कहा कि सभा से पहले इसको अमान्य करने के प्रयास किए गए। उनको फोन कर सभा टालने का दवाव बनाया गया। विमल अजमेरा ने चार संचालक सदस्यों के हस्ताक्षर से पत्र जारी कर इसे अमान्य बताने का प्रयास किया। साधारण सभा में इस पत्र को फर्जीवाड़ा बताते हुए खारिज कर दिया गया।

