एक साल से बगैर बीमा और फिटनेस के पिछोर, खनियाधाना में दौड़ रही मुख्यमंत्री युवा अन्नदूत योजना की गाड़ियाँ
विभागीय अधिकारी कार्रवाई करने में दिखे असमर्थ
दैनिक रणजीत टाईम्स संवाददाता जगदीश पाल-9425734189
पिछोर/खनियाधाना/शिवपुरी (संवाददाता)
शिवपुरी जिले में मुख्यमंत्री युवा अन्नदूत योजना के अंतर्गत पिछले एक वर्ष से बिना बीमा और फिटनेस के चल रही गाड़ियों ने विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के जिला आपूर्ति अधिकारी द्वारा लगातार पत्र जारी किए जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्यवाही सामने नहीं आई है।
यह लापरवाही न केवल सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता को धूमिल कर रही है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ कर रही है।
आदेशों की अवहेलना, अधिकारी चुप
जानकारी के मुताबिक, जिला आपूर्ति अधिकारी द्वारा बार-बार संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर स्थिति सुधारने और नियमों का पालन करवाने के निर्देश दिए गए। लेकिन विभागीय स्तर पर आदेशों की जमकर अवहेलना हो रही है। इन गाड़ियों को रोकने या दंडात्मक कार्यवाही करने की जगह उन्हें अनदेखा किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्थिति केवल अधिकारियों की लापरवाही नहीं, बल्कि “मिलीभगत और भ्रष्टाचार” की ओर भी इशारा करती है।
बिना बीमा और फिटनेस के गाड़ियाँ क्यों खतरा
बिना बीमा और फिटनेस के वाहन चलाना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि लोगों की जान से खिलवाड़ भी है।
बीमा न होना: दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों को कोई मुआवजा नहीं मिल पाएगा।
फिटनेस न होना: तकनीकी खराबी और सड़क दुर्घटना की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
योजना की साख पर सवाल मुख्यमंत्री युवा अन्नदूत योजना की साख पर भी इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
जवाब देने से बचतीं जिला पीडीएस प्रभारी शिवपुरी
इस मामले में जब संवाददाता द्वारा पीडीएस प्रभारी शिवानी गुप्ता से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने न तो फोन रिसीव किया और न ही कॉल बैक किया। उनकी चुप्पी ने संदेह और गहरा दिया है। आमजन का कहना है कि जब जिम्मेदार अधिकारी ही जवाब देने से कतराएँगे, तो नियमों का पालन कैसे होगा?
स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों का मानना है कि जब इतने लंबे समय से बिना बीमा और फिटनेस की गाड़ियाँ चल रही हैं और अधिकारी चुप हैं, तो इसके पीछे कोई न कोई “मोटी रकम” या “साठगांठ” का खेल जरूर है।
किया अधिकारियों ने आंखों पर काली पट्टी बांध रखी है
या फिर रिश्वत लेकर नियमों को ताक पर रख दिया गया है?
नियम-कानून का सीधा उल्लंघन
मोटर व्हीकल एक्ट और अन्य प्रावधानों के तहत कोई भी वाहन बीमा और फिटनेस प्रमाणपत्र के बिना सड़क पर नहीं चल सकता। ऐसे वाहन पकड़े जाने पर भारी जुर्माना और वाहन जब्ती का प्रावधान है। लेकिन करेरा, पिछोर और खनियाधाना क्षेत्र में इन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
इस पूरे मामले को लेकर जनता में भारी नाराजगी है। लोग कहते हैं कि शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों तक सुविधा पहुँचाना है। लेकिन जब अधिकारी ही लापरवाह होंगे तो योजनाएँ सिर्फ कागज़ों में ही सफल नजर आएंगी।
जिम्मेदारों से जवाबदेही की मांग
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि:
बिना बीमा और फिटनेस के चल रही गाड़ियों को तुरंत रोका जाए।
2. जिम्मेदार अधिकारियों पर विभागीय और दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
3. मुख्यमंत्री युवा अन्नदूत योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
4. जनता को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त किया जाए।
एक साल से बिना बीमा और फिटनेस के चल रही गाड़ियों का मामला केवल विभागीय लापरवाही नहीं, बल्कि एक गंभीर सिस्टम फेलियर का उदाहरण है। सवाल यह उठता है कि जब शासन बार-बार पत्र और आदेश जारी कर रहा है, तो जमीनी स्तर पर उनकी अवहेलना क्यों हो रही है?
अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो न केवल किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी, बल्कि शासन की योजनाओं पर भी आमजन का भरोसा उठ जाएगा।

