ये हैं वो 3 डर जिसके बाद घबराए निवेशकों ने जमकर की बिकवाली - आगे क्या?

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प्रवेश सिंह
भारतीय शेयर बाजार में बीते कुछ दिनों से लगातार कमजोरी देखने को मिल रही है. निवेशक घबराए हुए हैं और सेंसेक्स-निफ्टी में गिरावट का दौर जारी है. आइए जानते हैं इस गिरावट के 3 सबसे बड़े कारण, जिन्हें समझना हर निवेशक के लिए जरूरी है. सुबह 10:03 बजे, सेंसेक्स 1,009.64 अंक या 1.35% की गिरावट के साथ 73,602.79 पर था, और निफ्टी 316.25 अंक या 1.4% की गिरावट के साथ 22,228.80 पर था. लगभग 517 शेयरों में बढ़त, 2,661 शेयरों में गिरावट और 107 शेयरों में कोई बदलाव नहीं था. 28 फरवरी को बीएसई-पर लिस्ट कंपनियों के मार्केट कैप में 6.1 लाख करोड़ रुपये की भारी गिरावट आई और निफ्टी 9 महीने के निचले स्तर पर आ गया. फरवरी में अब तक निफ्टी 50 में लगभग 5% की गिरावट आई है, और यह लगातार पांचवें महीने गिरावट की ओर है यानी रिटर्न निगेटिव है. ये 29 साल में सबसे लंबी गिरावट है
शेयर बाजार में भारी गिरावट के तीन कारण:

 (1) ट्रेड वॉर का डर-  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामान पर 25% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की बात कही है. ये टैरिफ अब 4 मार्च से लागू होंगे, जबकि पहले 2 अप्रैल की तारीख दी गई थी.

सिर्फ यही नहीं, ट्रंप ने चीन से आने वाले सामान पर भी 10% अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है. इससे दुनिया भर के बाजारों में ये डर बढ़ गया है कि कहीं अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर (व्यापार युद्ध) फिर से तेज ना हो जाए.

(2) बाजार को अनिश्चितता से डर-Geojit Financial Services के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने मनीकंट्रोल को बताया कि शेयर बाजार को सबसे ज्यादा डर अनिश्चितता (Uncertainty) से लगता है. ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से बाजार पर इस अनिश्चितता का साया बना हुआ है. ट्रंप बार-बार अलग-अलग देशों पर टैरिफ लगाकर उन्हें धमकाते हैं और फिर अमेरिका के फायदे के लिए सौदेबाजी करते हैं.

हालांकि बाजार को अब भी पूरी तरह ये भरोसा नहीं है कि अमेरिका-चीन के बीच पूरा ट्रेड वॉर होगा या नहीं. लेकिन फिलहाल माहौल डर और चिंता से भरा हुआ है, जिसका असर बाजार में दिख रहा है.

इस डर को साफ देखने के लिए VIX (Volatility Index) भी 21.13 तक चढ़ गया है, जो बाजार में घबराहट का साफ संकेत है.

क्या निवेशकों को घबराने की जरूरत?

 वी के विजयकुमार का मानना है कि मार्च महीने में हालात सुधर सकते हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत आंकड़े (Macro Data) और
विदेशी निवेशकों (FII) की कम बिकवाली से बाजार को सहारा मिल सकता है. कई बड़े शेयरों (Largecaps) की वैल्यूएशन अब आकर्षक हो गई है, तो लंबी अवधि के निवेशकों के लिए ये सही मौका है कि वे अच्छी कंपनियों के शेयर धीरे-धीरे खरीदें. खासकर डिफेंस सेक्टर के अच्छे शेयरों पर नजर रखने की सलाह दी गई है.


एशियाई बाजारों में बिकवाली- 

भारतीय बाजारों पर सिर्फ घरेलू नहीं, बल्कि विदेशी बाजारों का भी असर पड़ता है. हॉन्ग कॉन्ग, चीन और जापान के बाजारों में भी कमजोरी है, जिसका सीधा असर भारत पर भी पड़ रहा है.

हॉन्ग कॉन्ग का हैंगसेंग इंडेक्स 2.3% गिरा.
चीन का CSI300 इंडेक्स 0.8% नीचे.
शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 0.9% कमजोर.
जापान में तो विदेशी निवेशकों ने बीते हफ्ते करीब 7 अरब डॉलर (1.04 ट्रिलियन येन) की बिकवाली की, जो 5 महीनों में सबसे ज्यादा है.इस बिकवाली के पीछे 3 वजहें रहीं – जापानी येन में मजबूती, महंगाई बढ़ने का डर, और
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से जुड़ी अनिश्चितता. ये सब मिलकर भारतीय बाजार की धारणा भी खराब कर रहे हैं.

(3) Nvidia के नतीजों का झटका-

 दुनिया की टॉप चिप बनाने वाली कंपनी Nvidia के तिमाही नतीजों का असर भारतीय बाजारों तक आ गया है. हालांकि कंपनी ने अपनी कमाई (Revenue) का मजबूत अनुमान दिया था, लेकिन उसके प्रॉफिट मार्जिन का अनुमान उम्मीद से कमजोर था. इसके बाद Nvidia का शेयर 8.5% गिर गया.

इसका असर खासतौर पर उन एशियाई बाजारों पर पड़ा, जहां टेक्नोलॉजी और चिप से जुड़े शेयर पहले ही काफी चढ़ चुके थे.

जापान का निक्केई इंडेक्स 5 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया. हॉन्ग कॉन्ग के टेक शेयर करीब 4% गिरे, जबकि ये इस साल अब तक करीब 30% चढ़ चुके थे. यही नहीं, निवेशकों ने Xiaomi और Tencent जैसी कंपनियों के शेयर भी मुनाफा काटने (Profit Booking) के लिए बेचना शुरू कर दिया. इसका दबाव भारतीय IT और टेक शेयरों पर भी देखने को मिल रहा है.

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