इन्दौर की धरा पर मातृशक्तियों ने रचा इतिहास : दशहरा मैदान से निकली शस्त्र आराधना यात्रा

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  • नारी शक्तियों ने उठाए शस्त्र, किया शौर्य का प्रदर्शन

  • - 9 खंडो में पांच हजार मातृशक्तियां जुटी दशहरा मैदान पर, 3 किलोमीटर की इस शस्त्र आराधना यात्रा में 150 से अधिक मंचों से हुआ यात्रा का स्वागत-सत्कार

    - झाबुआ की आदिवासी मंडली ने जमाया रंग, बालिकाओं ने किया शस्त्र कला का प्रदर्शन, वंदनवार व भगवा ध्वज से पटा पूरा पश्चिमी क्षेत्र

 

इन्दौर 28 नवंबर।  तलवार, लट्ठ, त्रिशूल, गदा, भाला व फारसा अपने हाथों में लिए जब मातृशक्तियां सडक़ों पर उतरी तो हर कोई इस नजारें को निहारता रह गया। वीरांगनाओं की वेशभूषा व पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी मातृशक्तियों ने अपने हाथों में शस्त्र थामकर जब अपनी कला का प्रदर्शन किया तो हर कोई शख्स इस नजारें को अपने मोबाइल के कैमरे में कैद करता हुआ नजर आया। मातृशक्तियों के मान, सम्मान, स्वाभिमान व नारी सशक्तिकरण के उद्देश्य से निकाली गई शस्त्र आराधना यात्रा में पांच हजार से अधिक महिलाएं, युवतियां व बालिकाएं दशहरा मैदान पर जुटी। महिलाओं ने अपने हाथों में शस्त्र थाम कर भारत की वीरांगनाओं का उद्घोष करते हुए अपने शौर्य का प्रदर्शन किया। 9 खंडो में बनाए गए ग्रुपों में महिलाओं ने अनुशासन का परिचय देने के साथ ही सनातन संस्कृति एवं लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर, झांकी की रानी लक्ष्मीबाई, मीरा बाई सहित भारत की वीरांगनाओं के इतिहास से भी सभी को रूबरू कराया। 3 किलोमीटर की इस शस्त्र आराधना यात्रा में 150 से अधिक मंचों से यात्रा का पुष्पवर्षा कर अगवानी की गई। शास्त्र आराधना यात्रा की इस शौर्य यात्रा में  सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक क्षेत्रों से जुड़े कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए थे।

हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान इन्दौर के चेयरमेन विनोद अग्रवाल, अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा, सचिव विनोद बिड़ला एवं प्रचार प्रमुख जवाहर मंगवानी ने बताया कि दशहरा मैदान से लालबाग तक निकाली गई शस्त्र आराधना यात्रा की कमान नारी शक्ति को ही सौंपी गई थी। यात्रा के मार्ग से लेकर सभी व्यवस्था मातृशक्तियों के हाथों में थी। शस्त्र आराधना यात्रा संयोजक सरस्वती पेंढ़ारकर ने बताया कि यात्रा की शुरूआत शस्त्र व ध्वज पूजन के साथ की गई। इसके पश्चात 9 खंडों में अलग-अलग ग्रुपों व क्षेत्रों से आई पांच हजार मातृशक्तियां, युवतियां व बालिकाओं को शस्त्रों का वितरण किया गया। नारी शक्ति की इस शौर्य यात्रा में 10 वर्ष की बालिका से लेकर 50 वर्ष की मातृशक्तियों ने अपनी भागीदारी दर्ज की। दशहरा मैदान पर जुटी हजारों महिलाओं ने शास्त्र पूजन करने के साथ ही शस्त्र कला प्रदर्शन के पूर्व भारत की वीरांगनाओं का उद्घोष किया एवं इसके बाद अपनी कला का प्रदर्शन किया।

9 खंड बनाएं, वीरांगनाओं का नाम दिया - 

 मंजूषा राजस जौहरी, विनीता धर्म एवं डॉ. संध्या चौकसे ने बताया कि दशहरा मैदान पर शाम 4 बजे से मातृशक्तियों का जुटना शुरू हो गया था। मातृशक्तियों को 9 खंडों में बांटा गया था। इन 9 खंडों को लोक माता अहिल्याबाई, राज माता जीजाबाई, रानी दुर्गावती, रानी पद्मावती, रानी लक्ष्मीबाई, माता गुजरी, सावित्रीबाई फूले, महादेवी वर्मा, रानी अवंतीबाई नाम दिया गया था।

वीरांगनाओं व भगवान की वेशभूषा में पहुंची नारी शक्तियां  - 

 पूजा खण्डेलवाल मंजीत गर्ग एवं प्रियंका तिवारी ने बताया कि शस्त्र आराधना यात्रा भारत की वीरांगनाओं को समर्पित करते हुए नारी थीम पर ही आयोजित की गई थी। यात्रा में भारत माता की झांकी भी बनाई गई थी जो यात्रा के मार्ग में विशेष आकर्षण का केंद्र थी। इसी के साथ 12 अश्वों पर हाथों में शस्त्र लिए भारत की वीरांगनाओं के स्वरूप में महिलाएं व युवतियां शस्त्र प्रदर्शन कर रही थी। दशहरा मैदान से लालबाग तक की इस यात्रा में अलग-अलग ग्रुपों में नारी शक्ति अपनी कलाओं का प्रदर्शन यात्रा के मार्ग में कर रही थी। यात्रा में ड्रेस कोड़ भी था जिसमें सभी मातृशक्तियां पीली व औरेंज कलर की साड़ी में नजर आई। यात्रा में राधा-कृष्ण, राम, लक्ष्मण, सीता, कालका माता सहित अन्य भगवान की वेशभूषा में युवतियां बग्घियां में संवार थी।

झाबुआ की मंडली ने जमाया रंग  - 

दशहरा मैदान से जैसे ही शस्त्र आराधना यात्रा निकली तो सबसे अग्र भाग में घोड़े पर संवार वीरांगना आने जाने वाले राहगीरों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही थी तो वहीं दूसरी ओर यात्रा के मध्य भाग में झाबुआ की आदिवासी नृत्य की टोली ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मन मोह रहे थे। जगह-जगह आदिवासी मंडली का स्वागत भी इस दौरान किया गया साथ ही स्कूली बच्चों द्वारा दी गई बैंड की प्रस्तुति ने भी सभी का ध्यान अपनी और आकर्षित किया।

बालिकाओं ने किया शस्त्र कला का प्रदर्शन  - 

शस्त्र आराधना की इस शौर्य यात्रा में व्यायाम शाला की बालिकाएं भी जुटी थी। उन्होंने भी अपनी शस्त्र कला का प्रदर्शन कर सभी लोगों की खूब तालियां बटोरी। दशहरा मैदान से लालबाग तक के मार्ग में छोटी-छोटी बालिकाएं अपने हाथों में तलवार, लट्ठ, त्रिशूल, गदा, भाला व फारसा सहित अन्य शस्त्रों के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन कर रही थी। वहीं इन्दौर कान्वेंट हायर सेकेण्डरी स्कूल के 40 बच्चों ने भी बैंड़ की आकर्षक प्रस्तुति से सभी का ध्यान अपनी और खींचा।

भगवा ध्वज से पटा पश्चिमी क्षेत्र - प्रचार प्रमुख जवाहर मंगवानी ने बताया कि लालबाग पैलेस में पांच दिवसीय हिंदू आध्यात्मिक मेले की शुरूआत शस्त्र आराधना यात्रा के साथ हुई। वहीं इसी के साथ यहां मुख्य अतिथियों द्वारा प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया। शाम 6 बजे सेवा मेले का विधिवत उद्घाटन पं. त्रिदंड़ी श्रीमन्नारायण रामानुज चिन्न जीयर स्वामीजी महाराज के सान्निध्य में हुआ। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता चेयरमेन विनोद अग्रवाल ने की एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री गुणवंतसिंह कोठारी विशेष रूप से उपस्थित हुए। पांच दिवसीय सेवा मेले में आम नागरिकों को सनातन संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा। मेला स्थल के साथ ही पूरे पश्चिमी क्षेत्र को वंदनवार सहित भगवा ध्वज से सजाया गया है। पांच दिवसीय सेवा मेला आम नागरिकों के लिए सुबह 10 से रात्रि 10 बजे तक खुला रहेगा। वहीं प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विशेष प्रस्तुतियां भी इस दौरान दी जाएगी।

कई अन्य सांस्कृतिक आयोजन भी होंगे - प्रचार प्रमुख जवाहर मंगवानी ने बताया कि पांच दिवसीय सेवा मेले के दुसरे दिन शुक्रवार 29 नवंबर को सुबह 10 बजे आचार्य वंदन, दोपहर 3 बजे महिलाओं द्वारा आराध्य के स्तोत्र का पाठ होगा। शनिवार 30 नवंबर को सुबह 10 बजे शिक्षाविद सम्मेलन एवं दोपहर के सत्र में हिंदू युवा सम्मेलन का आयोजन होगा। रविवार 1 दिसंबर को प्रात: 10 बजे मातृ-पितृ वंदन का कार्यक्रम होगा एवं दोपहर 2 बजे से मातृत्व सम्मान कार्यक्रम होगा। सोमवार 2 दिसंबर को प्रात: 10 बजे इस पांच दिवसीय सेवा मेले का समापन सम्मान समारोह के साथ होगा। सम्मान समारोह के मुख्य वक्ता श्री विजय पौराणिक (संयुक्त महामंत्री राष्ट्रीय सेवा भारती नई दिल्ली) होंगे।

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