Category : Dharm

सहजयोगी का हृदय महानता के अहंकार से मुक्त व प्रेममय होता है

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सहजयोग की संस्थापिका आदिशक्ति श्री माताजी निर्मला देवी ने अपनी अमृतवाणी में कई बार दिशा निर्देशित किया है कि मनुष्य को सभी प्रकार के बंधनों से अर्थात कंडीशनिंग से स्वयं को मुक्त रखना चाहिए। तभी आप के ...

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आत्मबोध की सनातन ध्यानयोग परंपरा का वाहक है सहजयोग

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भारतीय दर्शन में आत्मबोध की परंपरा अत्यंत प्राचीन है, कच्चे मन को सच्चे मन में परिवर्तित करने की संपूर्ण विधि ध्यान कहलाती है इस संदर्भ में चित्त की भूमिका अत्यंत महत्व पूर्ण है चित्त पर नियंत्रण के ब...

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