Category : Dharm

श्री शिव के आल्हादमय स्वरूप के साक्षात् का माध्यम है सहजयोग

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अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् ।सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्ध:, चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् 'आत्माष्टकम्' प. पू. श्री माताजी प्रणित सहजयोग आत्म साक्षात्कार की ग...

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भगवद्गीता में अर्जुन प्रश्न करते हैं कि हे कृष्ण 'स्थितप्रज्ञ' किसे कहते हैं ? भगवान श्रीकृष्ण उत्तर देते हैं, हे पार्थ,

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प्रजहाति यदा कामान् सर्वान् पार्थ मनोगतान्।आत्मन्येवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते।। अर्थात् जो मानव अपनी संपूर्ण कामनाओं का त्याग कर, अपनी आत्मा को प्राप्त होता है। और वह उसकी हृदयस्थ आत्मा ही उ...

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