संघ के 100 साल पूरा होने पर मोहन भागवत ने किया संबोधित, जानें भाषण की अहम बातें

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के 100 साल पूरा होने पर नागपुर में विजयदशमी उत्सव कार्यक्रम को संबोधित किया। इस मौके पर मोहन भागवत ने देश के लोगों से स्वदेशी की अपील की और पड़ोसी देशों में जारी उथल-पुथल का भी जिक्र किया। इसके साथ ही संघ प्रमुख ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का भी जिक्र किया। 
अपने संबोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा यह वर्ष गुरु तेग बहादुर के बलिदान का 350वां वर्ष है। हिंद की चादर बनकर गुरु तेग बहादुर ने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। आज दो अक्टूबर है तो स्वर्गीय महात्मा गांधी की जयंती है अपने स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान अविस्मरणीय है। लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत कैसा हो उसके बारे में विचार देने वाले हमारे उस समय के दार्शनिक नेता थे उनमें उनका स्थान अग्रणीय हैं....जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण दिए ऐसे स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का आज जयंती है। भक्ति, देश सेवा के ये उत्तम उदाहरण हैं।
मोहन भागवत ने कहा, सीमा पार से आए आतंकवादियों ने 26 भारतीयों का धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी। इस आतंकी हमले से देश शोक और आक्रोश में था। पूरी तैयारी के साथ हमारी सरकार और सशस्त्र बलों ने करारा जवाब दिया। सरकार का समर्पण, सशस्त्र बलों का पराक्रम और समाज में एकता ने देश में एक आदर्श वातावरण प्रस्तुत किया। इस घटना और हमारे ऑपरेशन के बाद विभिन्न देशों द्वारा निभाई गई भूमिका ने हमारे सच्चे मित्रों को उजागर किया। देश के भीतर भी ऐसे असंवैधानिक तत्व हैं जो देश को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं। 
संघ प्रमुख ने कहा कि प्रचलित अर्थ प्रणाली के अनुसार, देश आर्थिक विकास कर रहा है। लेकिन प्रचलित अर्थ प्रणाली के कुछ दोष भी सामने आ रहे हैं। इस व्यवस्था में शोषण करने के लिए नया तंत्र खड़ा हो सकता है। पर्यावरण की हानि हो सकती है। हाल ही में अमेरिका ने जो टैरिफ नीति अपनाई, उसकी मार सभी पर पड़ रही है। ऐसे में हमें मौजूदा अर्थ प्रणाली पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए। निर्भरता मजबूरी में न बदलनी चाहिए। इसलिए निर्भरता को मानते हुए इसको मजबूरी न बनाते हुए जीना है तो स्वदेशी और स्वावलंबी जीवन जीना पड़ेगा। साथ ही राजनयिक, आर्थिक संबंध भी दुनिया के साथ रखने पड़ेंगे, लेकिन उन पर पूरी तरह से निर्भरता नहीं रहेगी। 
संघ प्रमुख ने कहा कि प्रजातांत्रिक मार्गों से ही परिवर्तन आता है। हिंसा से ऊथल-पुथल आती है, लेकिन पूरी तरह से परिवर्तन नहीं हुआ। हाल के समय में विभिन्न देशों में कथित क्रांतियां हुईं, लेकिन कहीं कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हो सका। हमारे पड़ोसी देशों में हिंसक ऊथल-पुथल होना हमारे लिए चिंता का विषय है। हमारा पड़ोसी देशों के साथ आत्मीयता का संबंध है। इससे चिंता होती है। 
साभार अमर उजाला

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