Category : Dharm

सभी प्रकार की भक्ति में श्रेष्ठ है गुरुमुख से निकली अमृतवाणी का अनुसरण

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मूल ध्यान गुरू रूप है, मूल पूजा गुरू पॉंव।मूल नाम गुरू वचन है, मूल सत्य सतभाव॥'संत कबीर'‘सहजयोग’ बात करता है ध्यान की,  'निर्विचार समाधी’’ की। आज के विज्ञान युग कहे जानेवाले इस कलियुग में ‘योग’, ‘ध्या...

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शब्द बुद्धि का संवाद है जबकि परमशक्ति से योग हृदय का समर्पण

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सहजयोग संस्थापिका श्री माताजी निर्मला देवी जी का वर्णन करने योग्य शब्द शायद ही कोई जुटा सकता है। विश्व के अनेक देशों में बड़े शहरों से लेकर छोटे गांवों तक में लाखों साधकों ने श्री माताजी के आशीर्वाद क...

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