Category : Dharm

मनुष्य सृष्टि का शिखर है तथा आत्मबोध सृष्टि के आनंद का आधार

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परमपिता परमात्मा को हम सत-चित-आनंद कहते हैं।  सत् माने सत्य। सत् पुरुष वह ईश्वर है जो स्वयं सृष्टि में वास्तविक भाग नहीं लेता है, बल्कि उत्प्रेरक है।  उदाहरणार्थ मैं सब काम कर रहा हूं, लेकिन प्रकाश के...

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प्रतिपल आनंद में रहने की अनुभूति है सहजयोग

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योग के संबंध में कहा जा सकता है कि योग स्थूलता से सूक्ष्मता की ओर जाना अर्थात बाह्य से अंतर्मुख होना है। योग प्रक्रिया में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार के पांच बहिरंग साधन हैं और धारणा, ध्यान,...

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